'अनाजों का राजा' है ये फसल, इसकी खेती बना देगी मालामाल, जानिए डीटेल
Barley Cultivation: जौ में मौजूद फॉस्फोरस, कैल्शियम, तांबा, मैग्नीशियम और जस्ता, हड्डियों को मजबूत करता है और सेहत में सुधार करता है.
जौ के लगातार सेवन से खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है. (Image- Pixabay)
जौ के लगातार सेवन से खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है. (Image- Pixabay)
Barley Cultivation: भारत में जौ (Barley) एक महत्वपूर्ण अनाज की फसल है. उत्पादन की नजर से अनाज फसलें जैसे- धान, गेहूं और मक्का के बाद जौ की फसल का चौथा स्थान है. जौ को औषधि के रूप में काफी उपयोगी माना जाता है. इसमें पाए जाने वाले अनेक गुणों की वजह से जौ को 'अनाजों का राजा' भी कहा जाता है. यह विटामिन, लोहा, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम, जिंक, कॉपर, प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट का बेहतर स्रोत है. बाजार में मांग ज्यादा होने से जौ की खेती (Jau ki kheti) किसानों के लिए मुनाफा वाला सौदा साबित हो सकते है.
जौ का हेल्थ बेनिफिट
जौ के लगातार सेवन से खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है. इससे दिन का दौरा, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशन और मोटापा जैसे रोगों में फायदा मिलता है. इसमें पाया जाने वाला फाइबर सेहत के लिए लाभकारी है. जौ में मौजूद फॉस्फोरस, कैल्शियम, तांबा, मैग्नीशियम और जस्ता, हड्डियों को मजबूत करता है और सेहत में सुधार करता है.
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जौ (Barley) की खेती भारत के पर्वतीय क्षेत्र, उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र और मध्य भारत में की जाती है. सिंचाई पानी की कम उपलब्धता और बारानी क्षेत्रों में भी जौ की अच्छी पैदावार ली जा सकती है. देश में छिलकासहित और छिलकारहित दोनों तरह के जौ का उत्पादन किया जाता है.
जौ के इस्तेमाल
जौ का इस्तेमाल बिस्कुट, डबल रोटी, दलिया आदि के उत्पादन में किया जाता है. माल्ट, अंकुरित जौ से मिलने वाला एक उत्पाद है. जौ से बने पारंपरिक सत्तू, इडली और दलिया का प्रयोग भी भोजन के रूप में किया जाता है. इसके अलावा, ग्लोबल स्तर पर जौ आधारित स्किन क्रीम, फेशियल क्रीम, शैम्पू, साबुन, लिपिस्टिक, फेस पाउडर, हेयर कंडीशनर और अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट्स तैयार किए जाते हैं.
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आज देश में 10 हजार से अधिक किसान उत्पादन समूह काम कर रहे हैं और इनकी संख्या में निरंत बढ़ोतरी हो रही है. ये बिजनेस के नए मॉडल अपना रहे हैं. इसकी खेती और फायेदमंद बना सकता है. भारत में जौ का उपयोग पारंपरिक रूप से सदियों से होता आ रहा है, लेकिन अब इसका व्यावसायिक उपयोग तेजी से हो रहा है. जौ में पाए जाने वाला फाइबल सेहत के लिए लाभकारी होता है. इससे बनी दवाइयां गुर्दे की पथरी में काफी प्रभावी मानी जाती है.
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01:54 PM IST