चीनी की मिठास हो सकती है कम, उत्पादन 3.63% घटकर 3.45 करोड़ टन रहने का अनुमान, जानिए वजह
चीनी की कुल उपलब्धता 2022-23 सत्र के दौरान 4.05 करोड़ टन रह सकती है जो वर्ष 2021-22 के 4.45 करोड़ टन से कम है.
Sugar Production: शुगर मार्केटिंग सीजन 2022-23 में देश का चीनी उत्पादन 3.45 करोड़ टन रह सकता है जो एक साल पहले की तुलना में 3.63% कम है. चीनी उद्योग के निकाय एआईएसटीए (AISTA) ने यह संभावना जताई है. चीनी के प्रमुख उत्पादक देश भारत में चीनी का उत्पादन विपणन सत्र 2021-22 के दौरान 3.58 करोड़ टन रहा था. चीनी का मार्केटिंग सीजन अक्टूबर-सितंबर महीने का होता है. ऑल इंडिया शुगर ट्रेडर्स एसोसिएशन (AISTA) ने मौजूदा सत्र के अपने पहले अनुमान में कहा है कि उत्पादन में गिरावट का अनुमान होने से निर्यात भी घटकर लगभग 70 लाख टन रह सकता है. पिछले सत्र 2021-22 में देश से 1.12 करोड़ टन चीनी का निर्यात हुआ था.
3.45 करोड़ टन चीनी उत्पादन रहने का अनुमान
AISTA ने कहा, वर्ष 2022-23 सत्र के दौरान भारतीय चीनी उत्पादन करीब तीन करोड़ 45 लाख टन रहने का अनुमान है. महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन 2022-23 सत्र में 1.24 करोड़ टन होने का अनुमान है जो पिछले सत्र के 1.37 करोड़ टन से कम है. इसका कारण गन्ने की पैदावार 9-10 टन प्रति हेक्टेयर कम होने का अनुमान है.
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इसी तरह, कर्नाटक में चीनी उत्पादन पहले के 62 लाख टन के मुकाबले कम होकर 57 लाख टन रहने का अनुमान है. इसकी वजह यह है कि राज्य में कई मिलों ने इथेनॉल उत्पादन के लिए अतिरिक्त या नई डिस्टिलरी लगाई हैं और इससे चीनी उत्पादन के अंतिम आंकड़ों पर असर पड़ेगा.
उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन बढ़ने का अनुमान
हालांकि, उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन वर्ष 2022-23 सत्र में पिछले सत्र के 1.02 करोड़ टन की तुलना में थोड़ा अधिक बढ़कर 1.05 करोड़ टन होने का अनुमान है. उत्तर प्रदेश में गन्ना की खेती का रकबा मामूली रूप से बढ़ा है लेकिन उपज कम होने से लाभ की स्थिति बेअसर हो सकती है. महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक देश के शीर्ष तीन चीनी उत्पादक राज्य हैं.
AISTA के अनुसार, लगभग 50 लाख टन सुक्रोज का इस्तेमाल भारी शीरा, चीनी सिरप और गन्ना रस से एथेनॉल (Ethanol) बनाने के लिए किया जाएगा. इसमें कोई भी बदलाव उत्पादन अनुमानों को प्रभावित करेगा. देश में लगभग 3.45 करोड़ टन के अनुमानित उत्पादन और 60 लाख टन के शुरुआती स्टॉक के साथ, चीनी की कुल उपलब्धता 2022-23 सत्र के दौरान 4.05 करोड़ टन रह सकती है जो वर्ष 2021-22 के 4.45 करोड़ टन से कम है.
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