Soymeal Export: भारतीय सोया खली (Indian Soymeal Export) का निर्यात मार्च में 46 फीसदी गिरकर 1.76 लाख टन रह गया है. पिछले साल मार्च में देश से 3.27 लाख टन सोया खली का निर्यात किया गया था. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कड़ी मूल्य प्रतिस्पर्धा के कारण सोया खली निर्यात में गिरावट आई.  प्रोसेसर्स के इंदौर स्थित संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने यह जानकारी दी.

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सोपा के कार्यकारी निदेशक डी एन पाठक ने पीटीआई-भाषा को बताया कि भारत की सोया खली (Soymeal) अमेरिका, ब्राजील और अर्जेंटीना के इस उत्पाद से महंगी बनी हुई है, इसलिए इसके भारतीय निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कड़ी मूल्य प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि मार्च में ईरान 65,515 टन के आयात के साथ भारतीय सोया खली का सबसे बड़ा आयातक बनकर उभरा.

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सोपा के आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा ऑयल मार्केटिंग ईयर (अक्टूबर 2023-सितंबर 2024) की पहली छमाही में भारत से 13.47 लाख टन सोया खली (Soymeal) का निर्यात किया गया. यह पिछले तेल विपणन वर्ष में देश से अक्टूबर से मार्च के बीच किए गए 11.79 लाख टन के सोया खली निर्यात से 14 फीसदी ज्यादा है.

क्या है सोया खली?

प्रोसेसिंग कारखानों में सोयाबीन का तेल (Soybean Oil) निकाल लेने के बाद बचने वाले उत्पाद को सोया खली (Soymeal) कहते हैं. यह उत्पाद प्रोटीन का बड़ा स्रोत है. इससे सोया आटा और सोया बड़ी जैसे खाद्य पदार्थों के साथ पशु आहार तथा मुर्गियों का दाना भी तैयार किया जाता है.