हर किसी के घर में किचन से बहुत सारा हरा कचरा (Green Waste) बाहर निकलता है. अधिकतर लोग इसे डस्टबिन में फेंक देते हैं जो आपके घर से होता हुआ कचरे वाली गाड़ी के जरिए लैंडफिल में चला जाता है. आज के वक्त में हर किसी के घर में कुछ गमले तो होते ही हैं, भले ही वह फूल के हों या सब्जियों के. ऐसे में अगर आप अपने किचन वेस्ट का इस्तेमाल कर के कंपोस्ट बना लें (Compost making by kitchen waste) तो ये आपके घर में लगे गमलों में पौधों के लिए ऑर्गेनिक खाद का काम करेगा. इसे भारत के किसान काला सोना भी कहते हैं, जिसमें बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं, जो पौधों की ग्रोथ में मदद करते हैं. आइए आज हम आपको बताते हैं कि कैसे आप अपने किचन के कचरे (Kitchen Waste) को काले सोने (Black Gold) में तब्दील कर सकते हैं. 

किचन वेस्ट से कैसे बनाएं कंपोस्ट?

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किचन में जो सब्जियां, सलाद या फल काटे जाते हैं, उससे बहुत सारा ऐसा हिस्सा होता है, जिसे खाया नहीं जाता. आलू-प्याज के छिलके, धनिए का निचला हिस्सा, फलों और सलाद के छिलके जैसी चीजों को अधिकतर लोग कूड़े में फेंक देते हैं. आप इस किचन वेस्ट से कंपोस्टिंग के जरिए शानदार खाद बना सकते हैं. इससे खाद बनाने के दो तरीके हैं.

जल्दी कंपोस्ट बनाने का तरीका

अगर आप जल्दी कंपोस्टिंग करना चाहते हैं तो बाजार में बहुत सारे ब्रांड के कंपोस्टिंग बिन आते हैं, जिनमें से कोई आप खरीद सकते हैं. यह एक बाल्टी जैसे होते हैं, जिनमें निचले हिस्से में पानी जमा होता है और ऊपरी हिस्से में किचन का सारा वेस्ट जमा होता है. इसमें आपको किचन वेस्ट की बहुत सारी लेयर बनानी हैं और हर लेयर के बीच बोकाशी पाउडर डालना है, जिसे कंपोस्टिंग पाउडर भी कहते हैं. यह आपको ऑनलाइन और ऑफलाइन आसानी से मिल जाएगा. तो बस रोज अपने किचन का कचरा बिन में डालते रहें और उस पर 1-2 छोटे चम्मच बोकाशी पाउडर छिड़क दें.

जब पूरा बिन भर जाए तो उसे बंद करके 15-20 दिन तक के लिए छोड़ दें. इस दौरान किचन वेस्ट की पिकलिंग यानी अचारीकरण होगा. जब 15-20 दिन बाद आप इसे खोलेंगे तो उसमें से अचार जैसी तेज गंध आएगी और किचन वेस्ट के ऊपर सफेद रंग की फंगस लगी दिखेगी. इसका मतलब है कि आपके किचन वेस्ट की पिकलिंग बहुत अच्छे से हुई है.  इसके बाद किसी दूसरे बड़े डिब्बे, बाल्टी या गमले में कोकोपीट के साथ किचन वेस्ट पिकल की लेयर बनाएं. इसे हर 3-4 दिन पर एक बार डंडे या खुरपी से चलाया करें, ताकि उसमें अंदर तक हवा जाती रहे. 

इस प्रक्रिया में बेक्टीरिया को कचरे को खाद बनाने के लिए हवा और ऑक्सीजन की जरूरत होती है. ऐसे में डिब्बे को किसी ऐसी चीज से ढकें, जिससे हवा आसानी से अंदर जा सके. हालांकि, ध्यान रहे कि मक्खियां अंदर ना जा पाएं, वरना वह अंडे दे देंगी और उसमें कीड़े पैदा हो जाएंगे. इन कीड़ों से आपको कोई नुकसान तो नहीं होगा, लेकिन आपकी खाद में बहुत सारे कीड़े देखकर आपको घिन लग सकती है. करीब 15-20 दिन में आपका सारा किचन वेस्ट कोकोपीट के साथ मिलकर गायब हो जाएगा. यानी करीब 40 दिन में आपका किचन वेस्ट कंपोस्ट में बदल जाएगा, जिसे आप पौधों में इस्तेमाल कर सकते हैं.

फ्री में किचन वेस्ट से ऐसे बनाएं कंपोस्ट

अगर आप कोई कंपोस्ट बिन और बोकाशी पाउडर नहीं खरीदना चाहते हैं तो बस कोकोपीट और कचरे की मदद से भी कंपोस्ट बना सकते हैं. इसमें आपको पिकलिंग भी नहीं करनी होगी. आपको सीधे कोकोपीट के साथ किचन वेस्ट को मिलाना होगा. कोकोपीट की जगह भुरभुरी मिट्टी या रेतीली मिट्टी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन कोकोपीट में खाद को लकड़ी या खुरपी से चलाना आसान हो जाता है. इसमें आप ढेर सारे सूखे पत्ते, कागज और गत्ता आदि भी डाल सकते हैं. हालांकि, पिकलिंग वाली प्रोसेस में आपकी खाद करीब 35-40 दिन में बनकर तैयार हो जाती है, वहीं इस तरीके में आपके किचन वेस्ट को खाद में बदलने में 80-100 दिन तक का समय लग जाता है.

कंपोस्ट बनाते वक्त ध्यान रखें ये बातें

  • कंपोस्ट बनाने के दौरान  कभी-कभी आपको उसमें कुछ कीड़े दिख सकते हैं. इनसे डरें नहीं, यह कीड़े कंपोस्टिंग में मदद ही करते हैं.
  • कंपोस्ट बनाने वाले डिब्बे को खुला ना छोड़ें, किसी जाली या मच्छरदानी जैसी चीज से ढक कर रखें. ऐसा नहीं करेंगे तो उसमें मक्खियां जाएंगी और अंडे दे देंगी, जिससे आपके कंपोस्ट में बहुत सारे कीड़े पैदा हो सकते हैं.
  • अगर उसमें से बदबू आए तो इसका मतलब है कि आपने बोकाशी पाउडर कम डाला है, तो अगली बार से वह पाउडर थोड़ा अधिक डाल दें.
  • पिकलिंग के बाद की प्रोसेस में अगर बदबू आए तो उसमें सूखी चीजें जैसे कोकोपीट, मिट्टी, सूखी पत्तियां या कागज-गत्ते की कमी हो रही है. इनकी मात्रा बढ़ा दें और बदबू धीरे-धीरे चली जाएगी.
  • कंपोस्ट बनाने में थोड़ा वक्त लगता है, तो सब्र रखें. धीरे-धीरे किचन वेस्ट कंपोस्ट में तब्दील हो जाएगा.
  • कंपोस्ट में मिर्च, नींबू, दूध, दही, ब्रेड या कोई पका हुआ खाना ना डालें, क्योंकि इनसे कपोस्टिंग की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और कई बार कंपोस्ट से बदबू भी आने लगती है.