Marcha Dhan GI Tag: बिहार के पश्चिम चम्पारण के मशहूर 'मर्चा धान' को सरकार ने जीआई टैग (GI Tag) दिया है. इसके साथ ही बिहार में जीआई टैग एग्री प्रोडक्ट्स की संख्या छह हो गई है.  इस लिस्ट में भागलपुर के कतरनी चावल (Katarni Rice), जर्दालू आम (Zardalu mango), मगही पान (Magahi Paan), शाही लीची (Shahi Litchi) और मिथिला मखाना (Mithila Makhana) पहले से ही शामिल हैं. इन फसलों को उनके स्वाद और क्वालिटी के कारण जीआई टैग दिया गया है. 'मर्चा धान' (Marcha Dhan) अपने सुगन्धित स्वाद और चूड़ा बनाने के लिए प्रसिद्ध है.

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जीआई टैग के लिए आवेदन मर्चा धान की खेती करने वालों के एक पंजीकृत संगठन, मर्चा धान उत्पादक प्रगतिशील समुहाट गांव, सिंगासनी, जिला- पश्चिम चंपारण (बिहार) द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसे मंजूरी दे दी गई है. मर्चा बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में स्थानीय रूप से पाए जाने वाले चावल की एक किस्म है. यह काली मिर्च की तरह दिखाई देता है, इसलिए इसे मिर्चा या मर्चा राइस के नाम से जाना जाता है.

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कहां होती है Marcha Dhan की खेती?

चावल मुख्य रूप से पश्चिमी चंपारण जिले के मैनाटांड़, गौनाहा, नरकटियागंज, रामनगर और चनपटिया ब्लॉक में उगाया जाता है, जिसकी औसत उपज 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. इस धान के लम्बे पौधे 145-150 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. पश्चिम चंपारण के 18 प्रखंडों में से छह प्रखंडों में इस चावल की खेती होती है.

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GI Tag का फायदा

GI Tag यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग ये एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी प्रोडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है. ऐसा प्रोडक्ट जिसकी विशेषता या फिर नाम खास तौर से प्रकृति और मानवीय कारकों पर निर्भर करती है. जीआई टैग के जरिए उत्पादों को कानूनी संरक्षण मिलता है. साथ ही जीआई टैग किसी उत्पाद की अच्छी गुणवत्ता का पैमाना भी होता है जिससे देश के साथ-साथ विदेशों में भी उस उत्पाद के लिए बाजार आसानी से मिल जाता है.

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