Agriculture: दलहन की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है. कोटा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने दो साल के रिसर्च के बाद अरहर (Arhar) की नई उन्नत किस्म एएल-882 विकसित करने में सफलता पाई है. इस किस्म के बीज के दानों का वजन 8 से 9 ग्राम है. कम पानी में भी यह किस्म प्रति हेक्टेयर 15 से 19 क्विंटल तक उत्पादन दे सकेगी. 

किसानों को मिलेगा दोगुना उत्पादन

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नई किस्म की खासियत यह है कि यह रोग प्रतिरोध किस्म है. अरहर में उखटा रोग प्रतिरोधी भी है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होगा. बता दें कि अरहर में उखटा और स्टेरिलिटी मोजेक रोग ज्यादा होता है. अरहर की नई किस्म एएल-882 चार से पांच महीनों में तैयार हो जाएगी. उपज 15 से 19 क्विंटल होगी.

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यह खरीफ सीजन में हाड़ौती की जलवायु अनुकूल है. इस किस्म के पौधे की बुवाई ऊंचाई 200 से 210 सेमी और दानों का रंग भूरा रहता है. इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) ने इस किस्म पर मुहर लगा दी है. इस साल इस किस्म की किसानों को बुआई के लिए सिफारिश की गई है. अरहर में अधिक उपज के लिए पुष्प अवस्था पर एनपीके 19:1:19 घुलनशीन उर्वरक के छिडकाव को भी प्रभावी पाया गया. 

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कब करें अरहर की खेती

अरहर खरीफ के मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख दलहनी फसल है. इसकी फसल के लिए ऐसी मिट्टी होनी चाहिए, जिसमें जल निकास की सही व्यवस्था हो. खेत में पानी भरने पर फसल को नुकसान हो सकता है. मृदा का पी-एच मान 5.5-8 के बीच होना चाहिए. मेड़ों पर बोने से अच्छी उपज मिलती है.

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