गाय-भैंस पालते हैं तो हरे चारे के लिए उगाएं ये खास घास, बाल्टी भर-भरकर दूध देंगे मवेशी, जानिए सबकुछ
Berseem Farming: बरसीम (Berseem) हरे चारे अपने गुणों द्वारा दुधारू पशुओं के लिये मशहूर है. इसमें कई तरह के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं. साथ ही बरसीम घास की सेवन से गाय और भैंस की दूध देने की क्षमता भी बढ़ जाती है.
Berseem Farming: देश के अधिकतर किसान खेती के साथ-साथ गाय-भैंस का पालन करते हैं. दूध बेचकर किसान अपनी कमाई बढ़ाते हैं. दुधारू पशुओं से अधिक दूध का उत्पादन तभी लिया जा सकता है जब इनके आहार में हरे चारे को शामिल किया जाए. बरसीम (Berseem) हरे चारे अपने गुणों द्वारा दुधारू पशुओं के लिये मशहूर है. इसमें कई तरह के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं. साथ ही बरसीम घास की सेवन से गाय और भैंस की दूध देने की क्षमता भी बढ़ जाती है.
मिट्टी
उत्तरी/पूर्वी क्षेत्र में मक्का या धान के बाद इसकी सफल खेती होती है. बरसीम की खेती (Berseem Farming) दोमट मिट्टी बेहतर है. खरीफ की फसल के बाद पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से फिर 2-3 बार हल चलाकर मिट्टी भूरभूरी कर लेना चाहिए. बुवाई के लिए खेत के लगभग 4x5 मी की क्यारियों में बॉट लें.
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बरसीम की प्रजातियां
बरसीम की कई प्रजातियां हैं. इनमें- वरदान, मेस्कावी, बुंदेलखण्ड बरसीन-2, बुंदेलखण्ड बरसीन-3 हैं.
बुवाई का समय
बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक करना ठीक रहता है. देर से बोने पर कटाई की संख्या कम और चारों की उपज प्रभावित होता है. तैयार क्यारियों में 5 सेमी गहरा पानी भरकर उसके ऊपर बीज छिड़क दें. बुवाई के 24 घंटे बाद क्यारी से जल निकाल कर दें. जहां धान काटने मे देर हो वहां बरसीम की उतेरा करना उचित है इसमें धान कटने से 10-15 दिन पूर्व ही बरसीम को खड़ी फसल में छिड़काव विधि से बुवाई करते है. प्रति हेक्टेयर 25-30 किग्रा बीज बोएं. पहली कटाई में चारा की उपज अधिक लेने के लिए 1 किग्रा प्रति हेक्टेयर चारे वाली टा -9 सरसों का बीज बरसीन में मिलाकर बोना चाहिए.
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कटाई 8-10 सेमी की जमीन के ऊपर करने से कल्ले निकलते है। बीज लेने के लिए पहली कटाई के बाद फसल छोड दे. अगर बरसीम की किसी खेत में पहली बार बुवाई की जा रही है. तो उसे प्रति 10 किग्रा बीज को 250 ग्राम बरसीन कल्चर की दर से उपचारित कर लें.
सिचाई
पहली सिंचाई बीज अंकुरण के तुरंत बाद करनी चाहिए. बाद में प्रत्येक हफ्ते के अंतर पर 2-3 बार सिंचाई करनी चाहिए. इसके बाद फरवरी के अंत तक 20 दिन के अंतर पर सिंचाई करें मार्च से मई तक 10 दिन कि अंतर पर सिंचाई करना जरूरी है. प्रत्येक कटाई के बाद सिंचाई जरूरी की जानी चाहिए. एक बार में लगभग 5 सेमी से ज्यादा पानी नहीं देना चाहिए.
प्रति हेक्टेयर 80-100 टन हरा चारा मिलता है. 2-3 कटाई के बाद बीज 2-3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और 40-50 टन प्रति हेक्टेयर हरा चारा मिल जाता है.