Fish Farming: मछली पालन (Fish Farming) कमाई का अच्छा जरिया है. मछली उत्पादन को बढ़ाने के लिए समय-समय पर सरकार द्वारा खास सलाह दी जाती है. इसी कड़ी में, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने मछली पालकों के लिए नवंबर महीने में किए जाने वाले काम के लिए एडवाइजरी जारी की है. मछली पालक सरकार की इस विशेष सलाह को अपनाकर मछली का उत्पादन बढ़ाकर अपनी कमाई में इजाफा कर सकते हैं. आइए जानते हैं इस महीने मछलियों को क्या खिलाना चाहिए, पानी को साफ कैसे रखना है.

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पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मुताबिक, तालाब में मछलियों के लिए पूरक आहार का इस्तेमाल कुछ मछलियों के शरीर के भार के 1.8 से 2 फीसदी से ज्यादा न करें. तालाब के पानी की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए 400 से 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से जलीय प्रोबायोटिक्स का इस्तेमाल न करें.

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तालाब की मिट्टी की बनाए रखें गुणवत्ता

तालाब की मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए 400 से 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से मृदा प्रोबायोटिक्स अथवा 10 से 15 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से जियोलाइट का प्रयोग नमीयुक्त बालू या मिट्टी में मिलाकर करें. तालाब में जलीय खर-पतवार होने पर रासायनिक उर्वरक या सिंगल सुपर फॉस्फेट का इस्तेमाल नहीं करें. 

15 नवंबर तक जरूर कर लें ये काम

पंगेशियस मछलियों वाली तालाब से तैयार मछलियों को निकालने का काम 15 नवंबर तक जरूर कर लें क्योंकि तापमान के गिरने से पंगेशियस मछलियों के मरने की संभावनाएं बढ़ जाती है. अगर पंगेशियस मछली छोटी है (बिक्री योग्य नहीं है) तो ठंड से बचाने के लिए तालाब की पानी गहराई 8 फीट से अधिक रखना चाहिए या पूरे ठंड के मौसम तक रात में बोरिंग का पानी तालाब के बीच में तलहटी में डालना चाहिए और 6 से 8 फीट पानी का स्तर होने के बाद ऊपर से एक निकासी का पाइल लगा देना चाहिए. पंगेशियस मछलियों वाली तालाब में तैयार मछली की निकासी का काम 3-4 दिनों के अंदर लगातार कर लेना चाहिए क्योंकि बची हुई मछली को छोड़ने से मरने संभावना बढ़ जाती है. 

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मछलियों की देखभाल

तालाब में चूना का इस्तेमाल 15 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से 15 दिनों के अंतराल पर करें. मछलियों संक्रमण से बचाने के लिए प्रति एकड़ 400 ग्राम पोटाशियम परमेग्नेट या 500 मिलीग्राम प्रति एकड़ की दर से वाटर सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें. तालाब का पानी ज्यादा हरा होने पर चूना और रासायनिक खाद का इस्तेमाल बंद कर दें और 800 ग्राम कॉपर सल्फेट का इस्तेमाल पानी में घोलकर करें.

मछलियों को फफूंद रोग से बचाने के लिए माह में लगातार एक हफ्ते तक प्रति किग्रा पूरक आहार में 5-10 ग्राम नमक मिलाकर खिलाएं. कार्प मछलियों वाली तालाब में माह के अंत में जाल जरूरी चलाएं

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