Farming Tips: आलू, गेहूं और सरसों में बीमारी का खतरा बढ़ गया है. इसे लेकर उत्तर प्रदेश कृषि विभाग द्वारा किसानों को सतर्क रहने के साथ रोगों से बचने के लिए तरीके बताए गए हैं. कृषि रक्षा विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि आलू की अगेती फसल में इस समय झुलसा रोग का प्रकोप हो रहा है. वहीं सरसों में माहू कीट की समस्या बढ़ने लगी है. फसलों में लगने वाले रोग, कीट व खरपतवार से बचाव के लिए निर्धारित रसायन का इस्तेमाल करें.

आलू की खेती झुलसा रोग

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस समय आलू की अगेती और पछेती फसल में झुलसा रोग का प्रकोप होने पर पत्तियों पर भूरे और काले रंग के धब्बे बनते हैं. तेज प्रकोप होने पर पूरा पौधा झुलस जाता है. रोग के प्रकोप के स्थिति में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्ल्यूपी एक किग्रा या मैन्कोजैब 75% डब्ल्यूपी 0.8 किग्रा या जिनेब 75% डब्ल्यूपी 0.8 किग्रा केमिकल में से किसी एक को 250-300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें. 

ये भी पढ़ें- अंजीर की खेती से कमाएं लाखों, सरकार दे रही 50 हजार रुपये, फटाफट करें आवेदन

गेहूं का मामा और जई खरपतवार नियंत्रण

वहीं गेहूं की फसल में गेहूं का मामा, जई खरपतवार पाए जाते हैं. जिनको एक या दो बार निराई के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है. रासायनिक नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्यूरॉन 75% डब्ल्यूजी 33 ग्राम (2.5 यूनिट) या सल्फोसल्फ्यूरॉन 75% प्लस मेटसल्फोसल्फ्यूरॉन मिथाइल 5% की 40 ग्राम (2.5 यूनिट), 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर बुआई के बाद 25-30 दिन बाद छिड़काव कर इन खरपतवार से फसल को बचा सकते हैं.

गेहूं में पीली गेरूई के लक्षण सबसे पहले पत्तियों पर पीले रंग की धारी के रूप में दिखायी देते हैं, जिसे हाथ की उंगलियों से छूने पर पीले रंग का पाउडर लग जाता है. रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रोपीकोनाजोल 25% ईसी 200 मिली, मात्रा को 250-300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए. रोग के प्रकोप और फैलाव को देखते हुए दूसरा छिड़काव 10-15 दिन के अंतराल पर करें.

ये भी पढ़ें- Crop Protection Tips: शीतलहर और पाले से फसलों को बचाएं किसान, बचाव के लिए अपनाएं ये तरीका

सरसों में माहू कीट का बचाव

छिड़काव बारिश व कोहरे की स्थित में न करें. तापमान में गिरावट होने पर राई व सरसों की फसल में माहू कीट के प्रकोप होने की संभावना बढ़ने लगी है. कीट का प्रकोप से पौधों को नुकसान पहुंचने लगता है. इससे बचाव के लिए एजाडिरैक्टिीन 0.15% ईसी एक लीटर या डायमैथोएट 30% ईसी 0.4 लीटर या ऑक्सीडिमेटान मिथाइल 25% ईसी 0.4 लीटर इन केमिकल में से किसी एक को प्रति एकड़ की दर से लगभग 200-250 लीटर पानी घोलकर छिड़काव कर माहू कीट से छुटकारा पा सकते हैं