Kharif Crops: रबी फसलों की कटाई, मड़ाई और भंडारण के बाद किसान अब खरीफ (Kharif) की बुवाई की तैयारी में लग गए हैं. खरीफ में किसानों को कई फसलों के लिए नर्सरी तैयार करने की जरूरत होती है. कुछ की सीधी बुआई भी करना होगा. खरीफ में बोई जाने वाली किसी भी फसल की बुवाई से पहले बीजोपचार जरूरी है. इससे पैदावार अच्छी होती है और किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी. 

क्या है बीजोपचार?

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बीजोपचार, खेती की एक वैज्ञानिक पद्धति है जो बेहतर फसल उत्पादन का मजबूत विकल्प है. बीजोपचार पद्धति अपना कर किसान फसल को रोग मुक्त, उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी हासिल करता है. किसानों को सावधानी से बीजों का उपचार करना जरूरी है क्योंकि बीज अनेक रोगाणु कवक, जीवाणु, विषाणु व सूत्र कृमि के वाहक होते हैं. इसकी वजह से बीजों की गुणवत्ता और अंकुरण के साथ फसल की बढ़वार, रोग से लड़ने की क्षमता, उत्पादकता और उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इसलिए बीज भंडारण से पहले अथवा बुवाई से पहले जैविक या रासायनिक अथवा दोनों के द्वारा बीज का उपचार किया जाना जरूरी है.

ये भी पढ़ें- मशरूम की खेती से महिलाएं हर महीने कमा रहीं ₹10 हजार, आमदनी बढ़ाने के लिए अब उठाने जा रही ये कदम

झारखंड कृषि विभाग के मुताबिक, बीज उपचार फफूंदनाशी, कीटनाशक या दोनों के संयोजन से किया जाना चाहिए ताकि बीज-जनित या मिट्टी-जनित रोगजनक जीवों और भंडारण कीड़ों से उन्हें मुक्त किया जा सके. बीजों का उपचार दो प्रकार से किया जाता है. एक बीज विसंक्रमण और दूसरा बीज संरक्षण के जरिए.

ऐसे करें बीजोपचार

बीजोपचार ड्रम में बीज और दवा डालकर ढक्कन बंद करके हैंडल द्वारा ड्रम को 5 से 10 मिनट तक घुमाया जाता है. इस विधि से एक बार में 25-35 किलो ग्राम बीज उपचार किया जा सकता है. बीज उपचार की पारंपरिक घड़ा विकल्प है. इस विधि से बीज और दवा को घड़ा में निश्चित मात्रा में डालकर घड़े के मुंह को पॉलीथीन से बांधर 10 मिनट तक अच्छी तरह से हिलाया जाता है. थोड़ी देर बाद घड़े का मुंह खोलकर उपचारित बीज को अलग बोरे में रखा जाता है.

ये भी पढ़ें- Success Story: फूलों की खेती से मालामाल हुआ किसान, हर महीने ₹2.5 लाख की इनकम

बीज उपचार की अन्य विधि प्लास्टिक बोरा विधि है. इस विधि में बीज और दवा को डालकर बोरे में मुंह को रस्सी से बांध दिया जाता है और 10 मिनट तक अच्छी तरह हिलाने के बाद जब दवा की परत बीज के ऊपर अच्छी तरह लग जाए तब बीज को भंडारित अथवा बुवाई की जाती है.

बीज का उपाचर रासायनिक विधि से भी किया जाता है. इस विधि में 10 लीटर पानी में फफूंदनाशक और कीटनाशक की निर्धारित मात्रा दो से 2.5 ग्राम प्रति लीटर की दरे से घोल बनाकर गन्ना, आलू, अन्य कंद वाले फसल को 10 मिनट तक घोल में डुबोकर बुवाई की जाती है.

ये भी पढ़ें- Business Idea: बांस की खेती कराएगी तगड़ी कमाई, एक बार लगाएं पूरी जिंदगी बैठ कर पैसे कमाएं

धान बीजोपचार 15 फीसदी नमक घोल से किया जाता है. इस विधि में साधारण नकम के 15 फीसदी घोल में बीज को डुबोया जाता है, जिससे कीट से प्रभावित बीज, खरपतवार के बीज ऊपर तैरने लगते हैं और स्वस्थ बीज नीचे बैठ जाता है. जिसे अलक कर साफ पानी से धोकर भंडारित अथवा सीधे खेतों में बुवाई किया जा सकता है. बीज जनित बीमारी जैसे उकटा, जड़गलन के उपचार के लिए जैविक फफूंदनाशी ट्राइकोडर्मा या स्यूडोमोनास से 5 से 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित किया जाना चाहिए.

बीज उपचार करने का फायदा

बीजोपचार करने के कई फायदे हैं. यह पौधों की बीमारियों के प्रसार को रोकता है. बीज को सड़ या उंकरों के लिए झुलसने से बचाता है. अंकुरण में सुधार होता है और पौध एक समान होते हैं. भंडारण कीड़ों से सुरक्षा प्रदान करता है. मिट्टी के कीड़ों को नियंत्रित करता है. कम दवा का प्रयोग करके बहुत अधिक फायदा मिल सकता है.

ये भी पढ़ें- फलों की खेती से बढ़ेगी किसानों की कमाई, फलदार पौधों पर सब्सिडी दे रही ये सरकार

बीजों को पोषक तत्वों, विटामिन और सूक्ष्म पोषक तत्वों से उपचार

बीजों को पोषक तत्वों, विटामिन और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भिंगोना व इसका उपचार करना चाहिए. धान अंकुरण और शक्ति क्षमता में सुधार के लिए बीजों को एक फीसदी केसीएल घोल में 12 घंटे तक भिगोया जा सकता है.

चारा फसलों के बीजों में बेहतर अंकुरण और शक्ति क्षमता में सुधार के लिए बीजों को एनएसीएल 12 एक फीसदी या केएचयूओफोर एक फीसदी 12 घंटे तक भिगोया जा सकता है. दलहन के बीजों में अच्छा अंकुरण और शक्ति क्षमता में सुधार के लिए बीजों को रासायनिक घोल में 4 घंटे तक भिगोया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- बिना मिट्टी करें खेती, लाखों कमाएं

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें