Maize Cultivation: मक्का एक प्रमुख खाद्य फसल हैं, जो मोटे अनाजो की श्रेणी में आता है. मक्का से अब एथेनॉल (Ethanol) का उत्पादन होगा. बिहार सरकार ने इसके लिए मक्के की खेती का रकबा बढ़ाने का फैसला लिया है. इसके लिए राज्य के सभी 38 जिलों में मक्का की खेती का क्षेत्र विस्तार होगा. रबी मक्का (Rabi Maize) की खेती उत्तर और पूर्वी मैदानी क्षेत्रों में की जाती है. प्रदेश के अन्य सिंचित भागों में भी इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है. 

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बिहार सरकार कृषि विभाग के मुताबिक, राज्य में कुल 1.50 लाख एकड़ क्षेत्र में मक्का की खेती का विस्तार करने का लक्ष्य रखा गया है. इससे 12 हजार क्विंटल मक्का उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. मक्का फसल के दाने और इसके अवशेष को भी इथेनॉल उत्पादन के काम में लाया जाएगा.

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मक्के से बनेगा एथेनॉल

पर्यावरण संरक्षण के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए यह पहल की जा रही है. कुल 13 करोड़ 23 लाख 80 हजार रुपये इस पर खर्च किए जाएंगे. 

खेत की तैयारी

दोमट मिट्टी रबी मक्का के लिये बेहतर होती है. आमतौर पर 1-2 जुताई मिट्टी पलटने वाले हल या डिस्क हैरो से करके मिट्टी भुरभुरी बना लें. अगर नमी की कमी हो तो पलेवा करके खेत की तैयारी कर लें. ट्रैक्टर चालित रोटावेटर द्वारा एक ही जुताई में खेत अच्छी तरह तैयार हो जाता है. रबी मक्का की बुआई का समय 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक का है.

रबी मक्का हेतु 20-22 किग्रा बीज प्रति हेक्टर का प्रयोग करें जिससे लगभग 85-90 हजार पौधे प्रति हेक्टर प्राप्त हो सकें.  बीज जनित रोगों से बचाव हेतु बीज को थीरम 2.5 ग्राम अथवा कार्बान्डाजिम 50% की 2 ग्राम मात्रा में प्रति किलोग्राम बीज की दर से शोधित करके बोना चाहिए.

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निराई-गुड़ाई

जब फसल घुटने के बराबर हो जाय तब पौधों पर मिट्टी चढ़ा दे. इस क्रिया द्वारा पौधों की पंक्तियों के बीच एक नाली बन जाती है जिससे सिंचाई में आसानी होती है. बुआई के 20-25 व 40-50 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें या एट्राजीन 50% डब्लू.पी. 1.00-1.5 लीटर मात्रा 500-600 लीटर पानी में घोलकर बुआई के बाद और जमाव से पहले छिड़काव करे. 

रबी मक्का में 4-5 सिंचाई करनी पड़ती है. पहली सिंचाई बुआई के 25-30 दिन, दूसरी 55-60 दिन तीसरी 75-80 दिन, चैथी 110-115 दिन और पांचवी 120-125 दिन बाद करनी चाहिए.

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कटाई

भुट्टे को ढकने वाली 75% पत्तियां पीली पड़ जाने पर भुट्टों को तोड़कर सुखाकर दाने अलग कर लेना चाहिए.  बाली को सुखाकर मानव चालित या पावर चालित मेज सेलर से दाना निकालना चाहिए। इससे 40-50% लागत कम होती है.