स्ट्रॉबेरी एक स्वादिष्ट, कम खट्टा और साथ ही मीठा फल है. ये फल दिखने में भी बेहद सुंदर होता है. मार्केट में स्ट्रॅाबेरी की डिमांड बनी रहती है. इस वजह से देश के किसान भी इस की खेती अच्छे लेवल पर करते हैं. स्ट्रॅाबेरी एक ट्रेडिशनल फसल है. आमतौर पर भारत में इसकी खेती रबी सीजन में की जाती है. ये फसल ठंडे मौसम में ही फलती है. स्ट्रॅाबेरी की खेती भारत में हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड राज्य में होती है. लेकिन आज के समय में मॅाडर्न तकनीक के डेवलप होने के कारण स्ट्रॅाबेरी की खेती गर्म राज्यों में भी मुमकिन है. पॅाली हाउस में संरक्षित तकनीक से इसकी बुवाई मैदानी इलाकों में भी की जा रही है. इस वजह से महाराष्ट्र, यूपी, कर्नाटक जैसे राज्यों में भी इसकी खेती हो रही है. इसके लिए खेती की मिट्टी को बारीक करना होता है. फिर डेढ़ मीटर चौड़ाई और तीन मीटर लंबाई की क्वारियां बनाई जाती है.

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खेती कैसे होगी

स्ट्रॅाबेरी की खेती करने के लिए इसकी दूरी 30 सेंटीमीटर होना जरुरी है. बलुई दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी मानी जाती है. इस फसल में एक एकड़ में 22,000 तक पौधे लगाए जा सकते हैं. इसके लिए ड्रिप सिंचाई करना चाहिए. स्ट्र्रॅाबेरी की फसल 40 से 50 दिनों में तैयार हो जाती है. स्ट्रॅाबेरी को 32 डिग्री सेल्सियस पर दस दिनों तक कोल्ड स्टोरेज में भी रख सकते हैं. इसकी खास बात ये है कि इसकी खेती में कम लागत आती है लेकिन बढ़िया मुनाफा होता है. भारत में कैमरोसा, चांडलर, ऑफरा, ब्लैक पीकॉक, स्वीडन चार्ली, एलिस्ता और फेयर फॉक्स स्ट्रॅाबेरी के पॅापुलर वैरियंट हैं. 

कितना आता है खर्च 

एक एकड़ स्ट्रॅाबेरी की खेती में पूरा खर्चा 2 से 3 लाख तक का आ जाता है. इसके अंदर मरल्चिंग और ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीक का यूज किया जाता है. स्ट्रॅाबेरी की मार्केट में जबरदस्त डिमांड रहती है. इस वजह से आप इसकी खेती करके अच्छा प्रॅाफिट कमा सकते हैं. 

क्या हैं स्ट्रॅाबेरी के फायदे

स्ट्रॅाबेरी में विटामिन सी के साथ विटामिन ए और विटामिन के भी पाया जाता है. इसके साथ ही इसमें केल्सियम, मैग्नीशियम, फोलिक ऐसिड, फास्फोरस और पोटेशियम भी होता है. इसके यूज से फेस पर होने वाली परेंशानियां जैसे कि कील मुंहासों से छुटकारा पाया जा सकता है. साथ ही ये आंखों की रौशनी और दांतों के लिए भी फायदेमंद है.

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