Kisan Drone: धान किसानों के लिए अच्छी खबर है. तेलंगाना स्थित मारुत ड्रोन (Marut Drones) को अपने ‘मल्टी-नोजल बीज वितरण उपकरण’ के लिए पेटेंट मिला है. इस ड्रोन की मदद से धान की सीधी बुवाई की जा सकती है. कंपनी एक बयान में कहा कि यह पेटेंट अधिनियम, 1970 के प्रावधानों के तहत 20 वर्षों के लिए दिया गया दुनिया का पहला जनकेंद्रित पेटेंट है.

ड्रोन से धान की बुवाई

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यह पेटेंट मारुत के सीधे बीज बोने वाले चावल ड्रोन (Rice Drone) को मान्यता देता है. इसे प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय (PJTSAU) के सहयोग से विकसित किया गया है. इसमें एक मल्टी-नोजल बीज वितरण उपकरण शामिल है. इस पेटेंट के साथ, मारुत ड्रोन जमीनी स्तर पर चावल की खेती (Rice Cultivation) के लिए सीधे बीज बोने वाले ड्रोन (Drone) की सुविधा देगी. कंपनी ने कहा कि उसका लक्ष्य चावल की खेती को बढ़ावा देने के लिए 2030 तक 10 लाख हेक्टेयर भूमि पर बीज बोना है.

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सीडिंग ड्रोन का उपयोग कीटनाशकों और उर्वरकों के छिड़काव के लिए भी किया जा सकता है. डीएसआर ड्रोन (DSR drones) से किसान पानी के उपयोग में 92 फीसदी की कमी ला सकते हैं, आरओआई में तेजी ला सकते हैं और प्रोफिटेबिलिटी की टाइमलाइन 3 साल से 17 महीने तक बढ़ा सकते हैं.

कृषि मजदूरों की कमी का मिलेगा समाधान

Marut Drones के CEO और फाउंडर ने कहा, यह पेटेंट तकनीक भारत में चावल की खेती के तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी. ड्रोन तकनीक के माध्यम से खेत में शारीरिक श्रम को कम करके, हमारा लक्ष्य किसानों के सामने आने वाली लगातार चुनौतियों, विशेष रूप से तेजी से शहरीकरण के कारण श्रम की कमी का समाधान करना है. धान की बुआई से लेकर चावल के खेतों में मच्छरों और कीटों को नियंत्रित करने तक, श्रम लागत महत्वपूर्ण बाधाएं पैदा करती है. PJTSAU के साथ हमारे सहयोग के माध्यम से, हम ड्रोन के माध्यम से डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) को व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा देना चाहते हैं, जिससे अधिक आर्थिक रूप से व्यवहार्य और टिकाऊ चावल खेती (Rice Cultivation) इकोसिस्टम को बढ़ावा मिल सके.

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