Crop Protection Tips: शीतलहर और पाले से सर्दी के मौसम में सभी फसलों को नुकसान होता है. पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां और फूल झुलसकर झड़ जाते हैं. अध-पके फल सिकुड़ जाते हैं. फलियों और बालियों में दाने नहीं बनते हैं व बन रहे दाने सिकुड़ जाते हैं. पाला पड़ने की स्थिति में दोपहर के पश्चात हवा का बहना रुक जाता है. मौसम का साफ होने के साथ ही आकाश में बादल नहीं होते है. हवा में नमी की कमी हो जाती है. वातावरण का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से कम होने लगता है. ऐसे में सर्दी में पाले से फसलों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए किसानों को अलग-अलग उपाय करने चाहिए. राजस्थान कृषि विभाग ने किसानों के लिए सलाह जारी की गई है. 

शीतलहर और पाले से फसल की सुरक्षा के उपाय

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कृषि विभाग के मुताबिक, पौधशालाओं के पौधों और सीमित क्षेत्र वाले उद्यानों एवं नगदी सब्जी वाली फसलों में भूमि के ताप को कम न होने देने के लिए फसलों को टाट, पोलीथिन या भूसे से ढक दें. वायुरोधी टाटियां, हवा आने वाली दिशा की तरफ यानि उत्तर-पश्चिम की तरफ बांधे. नर्सरी, किचन गार्डन और कीमती फसल वाले खेतों में उत्तर-पश्चिम की तरफ टाटियां बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगाएं और दिन में फिर हटाएं. शाम को हल्की सिंचाई करने से फसलों पर पाले का प्रभाव कम होता है. खेतों की मेड़ और बीच-बीच में घास-फूस जला कर धुंआ करना चाहिए.

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कृषि विभाग ने बताया कि जब पाला पड़ने की संभावना हो तब फसलों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. नमीयुक्त जमीन में काफी देरी तक गर्मी रहती है और भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है. इससे तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है.

बचाव के अपनाएं ये तरीके

जिन दिनों पाला पड़ने की सम्भावना हो उन दिनों फसलों पर घुलनशील गंधक 0.2% (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) में घोल बनाकर छिड़काव करें. ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे. छिड़काव का असर दो हफ्ते तक रहता है. अगर इस अवधि के बाद भी शीतलहर व पाले की संभावना बनी रहे तो छिड़काव को 15-15 दिन के अन्तर से दोहराते रहें या थायो यूरिया 500 पीपीएम (आधा ग्राम) प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें.

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सरसों, गेंहू चना, आलू, मटर फसलों को ऐसे बचाएं

सरसों, गेंहू चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में गंधक का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में लौहा तत्व की जैविक और रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है जो पौधों में रोग-प्रतिरोधिता बढ़ाने में और फसल को जल्दी पकाने में सहायक होती हैं.

पाले और ठंडी हवा के झोंकों से बचाने के लिए लगाएं ये पेड़

कृषि विभाग के अनुसार, दीर्घकालीन उपाय के रूप में फसलों को बचाने के लिए खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर और बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी, अरडू आदि लगा दिए जाए तो पाले और ठंडी हवा के झोंकों से फसल का बचाव हो सकता है. अधिक जानकारी के लिए निकटतम कृषि कार्यालय में सम्पर्क करें. किसान कॉल सेंटर के निःशुल्क टेलीफोन नंबर 18001801551 पर संपर्क कर सकते हैं.

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