Food Inflation: आरबीआई और केंद्र सरकार, खाने-पीने की महंगाई को काबू करने के लिए कई उठा रही है. इसके बावजूद एक रिपोर्ट ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. क्रिसिल ने एक रिपोर्ट में कहा है कि पिछले 5 वर्षों के औसत की तुलना में अगले वित्त वर्ष में अनाज की कीमतें 14-15% ज्यादा रहने की उम्मीद है. अगर वजह की बात करें तो जलवायु परिवर्तन की अनियमितता, मजबूत वैश्विक मांग और घरेलू मांग में बढ़ोतरी है. इसके चलते खाने-पीने के सामान की महंगाई कम होने की संभावना कम है.

अनाज की कीमतें सालाना आधार पर काफी बढ़ी

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

चालू वित्त वर्ष में भी, पहले 10 महीनों में अनाज की कीमतें सालाना आधार पर काफी बढ़ी हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां गेहूं और धान की कीमतें 8-11% बढ़ी हैं, वहीं मक्का, ज्वार और बाजरा की कीमतें 27-31% बढ़ी हैं.

ये भी पढ़ें- ₹60 हजार की नौकरी छोड़ शुरू किया ये काम, अब हर साल कमा रहा ₹20 लाख से ज्यादा, इस सरकारी स्कीम का उठाया फायदा

गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन रहने की उम्मीद

क्रिसिल को मौजूदा रबी सीजन (Rabi Season) में गेहूं का उत्पादन अधिक रहने की उम्मीद है. जनवरी 2023 (अप्रैल 2020 में घोषित मुफ्त खाद्यान्न योजना) से निर्यात पर लगातार प्रतिबंध और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (Pradhan Mantri Garib Kalyan Anna Yojana) को बंद करने के बावजूद, जो पिछले वर्ष की तुलना में स्टॉक की स्थिति को आरामदायक स्तर तक लाने की उम्मीद है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि उपरोक्त उपाय वित्त वर्ष 2024 के लिए गेहूं की कीमतों पर दबाव डालेंगे. क्रिसिल के अनुसार, धान, मक्का, बाजरा और ज्वार जैसी प्रमुख खरीफ फसलों के लिए, अगले वित्त वर्ष के लिए भी उत्पादन अधिक होने का अनुमान है, बशर्ते मानसून सामान्य और अच्छी तरह से फैला हुआ हो.

ये भी पढ़ें- कम खर्च में शानदार कमाई का मौका, इस घास की खेती किसानों को बना देगी लखपति, जानिए कैसे?

अल नीनो बिगाड़ सकता है माहौल

हालांकि, नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने जून-जुलाई 2023 के बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून पर अल नीनो (El Nino) के प्रभाव की लगभग 49% संभावना और जुलाई-सितंबर के बीच 57% की भविष्यवाणी की है, जैसा कि रिपोर्ट में कहा गया है.

ये भी पढ़ें- Employee Pension Scheme: EPFO ने ज्यादा पेंशन के लिए जारी की गाइडलाइन, जानिए कहां, कैसे आवेदन करें

क्रिसिल ने कहा- यह देखने योग्य है, यह खरीफ के लिए वर्षा को प्रभावित कर सकता है और सूखे की स्थिति पैदा कर सकता है, जैसा कि पिछले मजबूत अल नीनो वर्ष (2015) के दौरान हुआ था जब दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य से 14% कम था और खरीफ अनाज का उत्पादन साल-दर-साल 2-3% कम हुआ था.

Old vs New Tax Regime: IT डिपार्टमेंट का नया Tax Calculator बताएगा किस टैक्स रिजीम में होगा फायदा

 

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें

PNB ने ग्राहकों को दिया तोहफा, FD पर 0.30% तक बढ़ाई ब्याज दरें, चेक करें लेटेस्ट इंटरेस्ट रेट्स

(IANS इनपुट)