Sanai Farming: खेती-किसान से कमाई बढ़ाने के लिए ऐसी फसलों का चयन करना चाहिए जिसकी बाजार में मांग और कीमत ज्यादा हों. सनई, एक नकदी फसल है. इससे हरी खाद बनाई जाती है. वहीं इसके फूलों का इस्तेमाल सब्जी के तौर किया जाता है. हरी खाद (Green Manure) मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने में मदद करती है, जिससे फसलों का उत्पादन बढ़ता है. किसान इसके खाद और फूलों को बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं.

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नई फसल लगाने से पहले खेतों में हरी खाद के उद्देश्य से सनई की खेती करने की सलाह दी जाती है. इसकी उन्नत किस्में नरेन्द्र सनई-1 और क्रोटा एन.डी-1 (Crota ND-1) हैं.

बुवाई का समय

सनई की खेती लिए गर्म नम जलवायु बेहतर होती है. फसल उत्पादन समय काल में 40-45 सेमी बारिश अच्छी मानी जाती है.  बलुई दोमट व दोमट सनई की फसल के लिए अच्छी होती है. सिंचित क्षेत्रों में बुवाई का समय अप्रैल के दूसरे हफ्ते से लेकर मई के मध्य तक बेहतर होता है. इस समय बुवाई करने से दो फायदे होते हैं. पहला- जहां चारे की समस्या हो वहां इसके हरे पत्तियों को विशेषकर ऊपरी भाग को पशुोओं को खिलाया जा सकता है. दूसरा फायदा यह है कि रोगकीट से मुक्त रहती है. असिंचित क्षेत्र में बुवाई पहली बारिश पर करनी चाहिए.

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जरूरी बातें

  • पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करना चाहिए. बाद में 2-3 जुताई करके मिट्टी का भुरभरी कर लेनी चाहिए. अच्छे जमाव के लिए भुरभुरी मिट्टी और 35 फीसदी नमी जरूरी है. 
  • हरी खाद उगाने के लिए 80 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज की जरूरत होती है. जबकि रेशे के लिए 60 किग्रा प्रति हेक्टेयर और बीज उत्पादन के लिए 25-30 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज चाहिए होंगे.
  • फसल की हरी खाद के लिए बोई गई हो तो 45-60 दिन पर किसी भारी हल से पलट कर पानी भरे जमीन में दबाएं. रेशे के लिए फसल की कटाई अप्रैल/मई में बोयी गई फसल को 90-95 दिन के बाद और बरसात में बोयी गई फसल को 50 फीसदी फूल की अवस्था पर कटाई कर अच्छे व ज्यादा रेशे पाए जा सकते हैं.
  • बीज के लिए फसल की कटाई लगभग 130-135 दिन पर कटाई करनी चाहिए.

रोग-कीट की रोकथाम

  • सनई की खेती में कोपल, तना छेदक कीट की रोकथाम के लिए मोनोकोटोफास 36 एस.एल का 750 मिली लीटर दवा 500-600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
  • फली छेदक के लिए मोनोकोटोफास दवा का 1.5 मिली लीटर पानी में घोल बनाकर 30, 45 और 60 दिन की अवस्था पर छिड़काव करें.
  • सनई की सूंडी की रोकथाम के लिए थायोडीन 15 मिली प्रति लीटर पानी की दर से फसल पर छिड़काव करें.
  • उक्ठा रोग की रोकथाम के लिए 4 ग्राम ट्राइकोडरमा प्रति किग्रा बीज की दर से उपचार करें.
  • पत्ती का मोजेक रोग के लिए बेवीस्टीन नामक दवा से 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज को उपचारित करना चाहिए और डाइथेन एम-45 दो किग्रा प्रति हेक्टेयर और न्यूवाकान 1 सी.सी प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए और प्रमाणित बीज ही बोना चाहिए.