Millets: बारिश के मौसम में बाजरा, ज्वार, मक्का, मूंग व मिर्च आदि फसलों में अनेक प्रकार के कीट-व्याधि प्रकोप की संभावना होती है. इनके प्रकोप बढ़ने से फसल बर्बाद हो जाती है. इसलिए इनको समय रहते पहचान कर नियंत्रण करने की जरूरत है. इसको देखते हुए कीट-व्याधि प्रकोप से बचाने व किसानों को नियंत्रण के लिए जरूरी जानकारी प्रदान करने के लिए सघनता से रेपिड़ रोविंग सर्वे किया गया. सर्वे के दौरान बाजरा व ज्वार में फड़का कीट, बाजरा में ब्लास्ट रोग, मक्का में एफिड़ व फाल आर्मी वर्म कीट, मूंग में सफेद मक्खी व जीवाणुज चित्ती रोग और मिर्च में पर्ण कुंचन रोग व सफेद मक्खी कीट आदि का प्रकोप पाया गया.

बाजरा व ज्वार में इस कीटनाशक का छिड़काव

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राजस्थान कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को विभागीय सिफारिश अनुसार कीट-व्याधि प्रकोप से बचाव के लिए विभिन्न सलाह दी. बाजरा व ज्वार में फड़का नियंत्रण के लिए क्यूनालफॉस 1.5% चूर्ण 25 किलो प्रति हsक्टेयर की दर से भुरकाव करें और ब्लास्ट रोग के नियंत्रण के लिए प्रोपीकोनाजॉल 25  ईसी अथवा ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25% और टेबुकोनाजोल 50% (75 डब्ल्यूजी) कवकनाशी का 0.05% का घोल बनाकर छिड़काव करें व 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव दोहराएं.

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मक्का-मूंग में फाल आर्मी वर्म कीट के नियंत्रण के उपाय

मक्का में फाल आर्मी वर्म कीट के नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेन्जोएट 5% एसजी 6 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर पोटों में डालें एवं एफिड के नियंत्रण के लिए एक लीटर मिथाइल डिमेटोन 25 ईसी प्रति हैक्टेयर के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें. मूंग में सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए एक लीटर डायमिथेएट 30 ईसी कीटनाशी का प्रति हैक्टेयर के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें. जीवाणुज चित्ती रोग के नियंत्राण के लिए एक ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन एवं 20 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड दवा का 10 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें व आवश्यकतानुसार छिड़काव दोहराएं.

मिर्च के बचाने के उपाय

मिर्च में पर्ण कुंचन रोग व सफेद मक्खी कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8  एसएल एक मिली प्रति 3 लीटर पानी या डायमिथेएट 30 ईसी एक मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें. साथ ही पर्ण कुंचन रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर मिट्टी में दबा कर नष्ट करें.

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