Wild Marigold Farming: किसानों के लिए जंगली गेंदे की खेती फायदेमंद साबित हो सकती है. जंगली गेंदे के फूल और पत्तों में सुगंधित तेल पाया जाता है. इसका उपयोग इत्र बनाने और कीटनाशक दवाइयां बनाने में किया जाता है. इसके अलावा जंगली गेंदे की खेती (Wild Marigold Farming) किसान अपनी फसल के आसपास बतौर सुरक्षा कवच कर सकते हैं, क्योंकि इसकी गंध से जंगली पशु दूसरी फसलों को भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. जंगली गेंदे का उत्पादन दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और आस्ट्रेलिया में किया जाता है. भारत में उत्तर भारत के पहाड़ी व मैदानी क्षेत्रों- हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश में इसकी खेती व्यावसायिक स्तर पर होने लगी है. इसके सुगंधित तेल को परफ्यूम में टेजीटी के नाम से इस्तेमाल किया जाता है. तम्बाकू इंडस्ट्री में इस्तेमाल के साथ-साथ सर्दी-जुकाम, सांस और पेट संबंधित समस्याओं को ठीक करने के लिए जंगली गेंदा फायदेमंद है.

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बीजों के जमाव के लिए लंबे गर्मी के दिनों की जरूरत होती है. बलुई दोमट या दोमट मिट्टी जिसका पी.एच. मान 4.5-7.5 हो और जिसमें कार्बनिक पदार्थों की प्रचुर मात्रा उपलब्ध हो, जंगली गेंदे की खेती के लिए अच्छी होती है. जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. 

बुवाई और सिंचाई

आईसीएआर की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर भारत के मैदानी भागों में जंगली गेंदे की खेती, बीज की सीधी बुवाई अक्टूबर माह में की जा सकती है और पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी नर्सरी मार्च से अप्रैल माह में तैयार की जाती है. जब पौधे 10-15 सेमी लंबे हो जाएं तो रोपण कर देना चाहिए.

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मैदानी क्षेत्रों में 3-4 सिंचाई की जरूरत है और पहाड़ी क्षेत्रों में जंगली गेंदे की खेती वर्षा आधारित होती है. खेती की तैयारी के समय अंतिम जुताई पर 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद मिलानी चाहिए. अच्छी पैदावार के लिए 100 किग्रा नाइट्रोन, 60 किग्रा फॉस्फोरस और 40 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से दें. नाइट्रोन दो बराबर भागों में पहली निराई (30-40 दिन) पर और दोबारा उसके एक महीने बाद देनी चाहिए.

फसल की कटाई

मैदानी भागों में अक्टूबर माह में लगाई गई फसल मार्च अंत से अप्रैल मध्य में और पहाड़ी क्षेत्रों में जून-जुलाई में लगाई गई फसल सितंबर-अक्टूबर में कटाई के तैयार हो जाती है. जमीन से लगभग 30 सेमी ऊपर हंसिया से पौधों को काटना चाहिए. 

वन-फूल, सीमैप द्वारा विकसित की गई उन्नत किस्म है. इसकी खेती कर 300-500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हर्ब मिलता है, जिसमें 40-50 किग्रा तेल प्राप्त होता है. हर्ब का तुरंत आसवन कर लेना चाहिए.

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कितनी होगी कमाई

रिपोर्ट के मुताबिक, जंगली गेंदे की फसल के उत्पादन में करीब 3,500 रुपये प्रति हेक्टेयर का खर्च आता है और फसल को बेचकर करीब 75,000 रुपये का नेट प्रॉफिट हो सकता है.

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