प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शनिवार को कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (ICAE) का उद्घाटन किया. इस मौके पर उनके साथ केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे. इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित भी किया. बता दें कि आईसीएई भारत में 65 वर्षों के बाद आयोजित किया जा रहा है. इसका उद्देश्य अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों के बीच साझेदारी को मजबूत करना, राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर नीति निर्माण को प्रभावित करना और डिजिटल कृषि और टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों में प्रगति सहित भारत की कृषि प्रगति को प्रदर्शित करना है.

भारतीय कृषि साइंस और लॉजिक को प्राथमिकता

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इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि मुझे खुशी है कि 65 साल बाद ICAE की ये कॉन्‍फ्रेंस भारत में हो रही है. उन्‍होंने तमाम देशों से आए एग्रीकल्‍चर साइंटिस्‍ट, रिसर्च एक्‍सपर्ट और अन्‍य मेहमानों का देश के किसानों की तरफ से स्‍वाग किया. पीएम ने कहा कि भारत जितना प्राचीन है, उतनी ही एग्रीकल्‍चर और फूड को लेकर हमारी मान्‍यताएं हैं. हमारे अनुभव हैं. भारतीय कृषि परंपरा में साइंस और लॉजिक को प्राथमिकता दी गई है.

पारंपरिक नॉलेज सिस्‍टम भारत का हिस्‍सा

आज फूड और न्‍यूट्रीशन को लेकर दुनियाभर में चिंता हो रही है, लेकिन हजारों साल पहले हमारे ग्रंथों में कहा गया है कि सभी पदार्थों में अन्‍न श्रेष्‍ठ है, इसलिए अन्‍न को सभी औषधियों का स्‍वरूप, उनका मूल कहा गया है. हमारे अन्‍न को औषधीय प्रभावों के साथ इस्‍तेमाल करने का पूरा आयुर्वेद विज्ञान है. ये पारंपरिक नॉलेज सिस्‍टम भारत के जीवन का हिस्‍सा है.

कृषि पराशर ग्रंथ का‍ जिक्र

पीएम ने कहा कि लाइफ और फूड को लेकर ये हजारों वर्ष पहले का भारतीय विजडम है. इसी विजडम के आधार पर भारत में एग्रीकल्‍चर का विकास हुआ है. भारत में करीब 2000 वर्ष पहले कृषि पराशर नाम से जो ग्रंथ लिखा गया था, वो पूरे मानव इ‍तिहास की धरोहर है. ये वैज्ञानिक खेती का एक कॉम्प्रिहेंसिव डॉक्‍यूमेंट है जिसका अब ट्रांसलेटेड वर्जन भी मौजूद है. 

एग्रीकल्‍चर एजुकेशन-रिसर्च का मजबूत इकोसिस्‍टम है भारत

उन्‍होंने कहा कि भारत में एग्रीकल्‍चर से जुड़ी एजुकेशन और रिसर्च का एक मजबूत इकोसिस्‍टम बना हुआ है. इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्‍चर रिसर्च के ही भारत में 100 से ज्‍यादा रिसर्च संस्‍थान हैं. भारत में एग्रीकल्‍चर और उससे संबन्धित विषयों की पढ़ाई के लिए 500 से ज्‍यादा कॉलेज हैं. 700 से ज्‍यादा कृषि विज्ञान केंद्र हैं जो किसानों तक नई टेक्‍नोलॉजी पहुंचाने में मदद करते हैं.

आज भारत एक फूड सरप्‍लस देश

भारतीय कृषि की एक और विशेषता है कि यहां आज भी 6 मौसमों को ध्‍यान रखते हुए सब कुछ प्‍लान किया जाता है. भारत में अगर आप कुछ 100 किलोमीटर की यात्रा करें तो खेती बदल जाती है. ये जो डायवर्सिटी है, यही ग्‍लोबल फूड की सिक्‍योरिटी के लिए भारत को उम्‍मीद की किरण बनाती है. पिछली बार जब ICAE की काउंसिल हुई थी, तब भारत को नई-नई आजादी मिली थी. तब भारत के पास एक चैलेंजिंग टाइम था. लेकिन आज भारत एक फूड सरप्‍लस देश है. आज भारत दूध, दाल और मसालों का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है. आज भारत फूड ग्रेन, फ्रूट्स, वेजिटेबल, कॉटन, शुगर, टी आदि का दूसरा सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है. एक समय भारत की फूड सिक्‍योरिटी दुनिया का चिंता का विषय है. आज का भारत ग्‍लोबल फूड सिक्‍योरिटी, ग्‍लोबल न्‍यूट्रीशन सिक्‍योरिटी के सॉल्‍यूशन देने में जुटा है.