India@100: पूरा देश आजादी का अमृत महोत्‍सव मना रहा है. आजादी के इन 75 सालों में देश के इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर में बहुत बदलाव आ गया है. रोड, रेल या एयरपोर्ट की बात करें, तो आज भारत काफी आगे बढ़ चुका है. इस पूरे 75 साल में साल 2000 देश के इंफ्रा डेवलपमेंट का एक बड़ा टर्निंग प्‍वाइंट रहा. 21 साल पहले 15 अगस्त 2000 को तत्कालीन PM अटल बिहारी वायपेयी ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना को लॉन्च किया, तब सबने इसे गलत इन्वेस्टमेंट कहा. आलोचकों ने कहा कि देश के हजारों करोड़ रुपये चूहे के बिल में डाले जा रहे हैं, जिसका कोई फायदा नहीं होगा. मगर, अब ये अटल सरकार की दूरदर्शिता साबित हो रही है, जो शायद बाकियों के पास नहीं थी. इन छोटी-छोटी सड़कों के जरिए देश के लाखों गांवों के करोड़ों किसान विकास के राजमार्ग से जुड़ गए. लेकिन ये सिर्फ किसानों के विकास की कहानी नहीं है. सन् 2000... ये वो साल था जब सरकार ने देश के विकास में इंफ्रास्ट्रक्चर के महत्व को समझा और इसमें भारी निवेश शुरू किया. अब मोदी सरकार ने गति शक्ति मिशन के नाम से इसे नया आयाम दे दिया है.

सड़कों पर हुआ भारी निवेश

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इंफ्रास्ट्रक्चर में सबसे ज्यादा निवेश सड़कों पर हुआ. अब भी इसमें भारी निवेश हो रहा है. नितिन गडकरी के नेतृत्व में हर रोज 38 किलोमीटर लंबी सड़क बन रही है, ये बहुत है मगर गडकरी ने रोजाना 60 किलोमीटर सड़क बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. ये सड़कें ही देश की लाइफलाइन हैं. हमारे देश में कुल 62 लाख किलोमीटर लंबी सड़कें हैं, इनमें से करीब 73 फीसदी ग्रामीण सड़कें हैं, इनकी कुल लंबाई 45 लाख किलोमीटर से ज्यादा है. देश की आजादी के बाद 1951 में पहली बार इनकी लंबाई नापी गई, तो ये 2 लाख 6 हजार किलोमीटर लंबी थीं. 1991 में जब उदारीकरण शुरू हुआ तो ये बढ़कर 12 लाख किलोमीटर हो गई थी. 2000 में जब प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना शुरू हुआ तो ग्रामीण सड़कों की लंबाई 19 लाख 72 हजार किलोमीटर थी.

नेशनल हाईवेज का तेजी से हुआ विकास

अब बात करते हैं कि नेशनल हाईवेज का कितना विकास हुआ है. देश जब आजाद हुआ तो नेशनल हाईवेज की लंबाई सिर्फ 19,811 किलोमीटर थी और ये भी सड़क खास चौड़ी नहीं थी. मगर अब देश में नेशनल हाईवेज की लंबाई 1 लाख 51,000 किलोमीटर हो चुकी है, पुरानी सड़कें भी चौड़ी की जा चुकी हैं. यानी जितनी लंबी सड़क 1951 में थी, उतनी लंबी नई सड़के देश में हर साल जुड़ रही हैं. स्टेट हाईवेज का भी देश और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकाश में बड़ा योगदान है. 1951 में करीब 57 हजार किलोमीटर लंबी स्टेट हाईवेज थी, जो अब बढ़कर 1 लाख 86 हजार किलोमीटर से ज्यादा हो चुकी हैं.

सड़क से एक्‍सप्रेसवे का सफर 

रोड इंफ्रा में देश अब सड़क से एक्सप्रेस-वेज का सफर तय कर चुका है. आजादी के सालों बाद तक इनकी कल्पना भी संभव नहीं थी. मगर अब देश में 2587 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे है. सबसे पहला एक्सप्रेस-वे मुंबई-पुणे था, जिसे 2002 में शुरू किया गया. सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश में है, जिसकी लंबाई 1396 किलोमीटर है और इससे भी लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे पर काम तूफानी रफ्तार से चल रहा है.

रेलवे ने तय किया नया मुकाम

अब बात करते हैं रेलवे की... ये एक ऐसा सेक्टर है जहां आजादी के वक्त भी देश दुनिया के कई देशों से आगे था. 1951 में रेलवे रूट्स की कुल लंबाई करीब 53 हजार किलोमीटर थी, जो अब बढ़कर करीब 68 हजार करोड़ किलोमीटर लंबी हो गई है. रेलवे की लंबाई बढ़ाने की गुंजाइश अब कुछ कम हो गई है. अब ट्रैक्स के विद्युतीकरण, ट्रेन की रफ्तार बढ़ाने, स्टेशंस पर सर्विस ठीक करने पर ज्यादा निवेश हो रहा है. शहरों में रोजमर्रा की यात्रा के लिए मेट्रो पर भी काम तेजी से चल रहा है. देश में 15 शहरों में मेट्रो सेवा शुरू हो गई है और 16 शहरों में इस पर तेजी से काम हो रहा है.

हवाई सफर हुआ आसान 

इंफ्रास्ट्रक्चर की बात है और हवाई यात्रा छूट जाए तो बात अधूरी रह जाती है. एयरपोर्ट अथॉरिटी के मुताबिक, इस वक्त देश में 487 हवाई अड्डे या हवाई पट्टियां हैं. इसमें से 137 AAI के पास हैं, जिनमें से 30 इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी शामिल हैं. कोविड से पहले 2019 में करीब साढ़े 14 करोड़ लोगों ने हवाई यात्रा की. उम्मीद है कि इस साल हम ये आंकड़ा पार कर देंगे. 

देश में इंफ्रा में भारी निवेश हो रहा है. मोदी सरकार ने गति शक्ति के नाम से इसे नया आयाम दे दिया है. रोड, रेलवे, पोर्ट, एयरपोर्ट, वाटरवेज यानी इंफ्रास्ट्रक्चर के हर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर भारी निवेश हो रहा है, देश को समझ में आ गया है कि गति से ही इकोनॉमी को शक्ति मिलेगी. 

ग्रामीण सड़कों का जाल

1947:  2.06 लाख किलोमीटर

1991:  12.60 लाख किलोमीटर

2001:  19.75 लाख किलोमीटर

2022:  45 लाख किलोमीटर से ज्यादा

 

नेशनल हाइवे की रफ्तार

38 किलोमीटर सड़क रोजाना बन रही है

60 किलोमीटर सड़क रोजाना का लक्ष्य

नेशनल हाइवे का विकास

1951:  19,811 किलोमीटर

2022:  1,51,000 किलोमीटर

स्टेट हाइवे का विकास

1951:  56,765 किलोमीटर

2022:  1,86,528 किलोमीटर

एक्सप्रेस-वे से बदला सफर

1951:  0

2022:  2587 किलोमीटर

 

रेलवे तब और अब

1951:  53,000 किलोमीटर

2022:  67,956 किलोमीटर

रेलवे का विकास

ट्रैक्स का विद्युतीकरण

ट्रेन की रफ्तार बढ़ाना

स्टेशनों पर सर्विस ठीक करना

मेट्रो रेल से शहरी जीवन सुधरा

15 शहरों में मेट्रो सेवा शुरू

16 शहरों में तेजी से काम

एयरपोर्ट्स पर भारी निवेश

487 हवाई अड्डे या हवाई पट्टियां

137 एयरपोर्ट AAI के पास

30 इंटरनेशनल एयरपोर्ट

2001:  19.75 लाख किलोमीटर

पोर्ट: विदेशी व्यापार की रीढ़

14 बड़े बंदरगाह

180 छोटे बंदरगाह