सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी विप्रो का शुद्ध लाभ मार्च 2019 को समाप्त तिमाही में 38.4 प्रतिशत उछलकर 2,493.9 करोड़ रुपये रहा. कंपनी ने 10,500 करोड़ रुपये के शेयर पुनर्खरीद कार्यक्रम की भी घोषणा की है. बायबैक योजना के कंपनी के शेयरों में तेजी से उछाल आने की संभावना है. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में विप्रो ने 1,800.8 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था. 

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शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कंपनी ने कहा कि भारतीय लेखा मानकों (इंड एएस) के तहत आलोच्य अवधि में परिचालन से उसकी आय 8.9 प्रतिशत बढ़कर 15,006.3 करोड़ रुपये रही. एक साल पहले इसी अवधि में यह 13,768.6 करोड़ रुपये थी.

पूरे वित्त वर्ष 2018-19 में विप्रो का शुद्ध लाभ 12.6 प्रतिशत बढ़कर 9,017.9 करोड़ रुपये रहा जबकि परिचालन आय 7.5 प्रतिशत बढ़कर 58,584.5 करोड़ रुपये रही.

क्या है बायबैक या पुनर्खरीद

विप्रो के निदेशक मंडल ने 10,500 करोड़ रुपये की पुनर्खरीद योजना को मंजूरी दी. इसके तहत वह 32.3 करोड़ शेयर 325 रुपये प्रति इकाई के भाव पर वापस खरीदेगी. पुनर्खरीद के लिए टेंडर ऑफर या ओपन मार्केट, दो तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है.  कोई कंपनी जब अपने ही शेयर निवेशकों से खरीदती है तो इसे बायबैक या पुनर्खरीद कहते हैं. बायबैक होने के बाद इन शेयरों की वेल्यू खत्म हो जाती है. 

बैलेंसशीट में ज्यादा नकदी

किसी कंपनी द्वारा खुद ही अपने शेयर खरीदने के पीछे कई वजह हो सकती हैं. एक बड़ी वजह यह भी है कि कंपनी की बैलेंसशीट में ज्यादा नकदी का होना. किसी भी कंपनी के पास बहुत ज्यादा नकदी का होना अच्छा नहीं माना जाता है. क्योंकि ज्यादा पैसे का मतलब है कि कंपनी अपनी नकदी का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है. इसलिए इस पैसे का इस्तेमाल वह खुद अपने ही शेयर खरीदने के लिए करती है.

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शेयर वेल्यू बढ़ाने के लिए

कई बार कुछ कंपनियों को लगता है कि उसके शेयरों की मार्केट वेल्यू कम है. शेयरों की पुनर्खरीद करके कंपनी अपने शेयरों की कीमत बढ़ाने का काम भी करती है.