भारत पिछले कुछ सालों में स्टार्टअप कंपनियों की क्रांति के चलते दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम वाला देश बन गया है. इस साल जुलाई में वाणिज्य व उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने बताया था कि 30 जून, 2022 तक देश में मान्यता वाले स्टार्टअप की संख्या 72,993 हो गई थी. यह आंकड़ा अपने आप में कितना बड़ा था, यह इस बात से समझिए कि 2016 में देश में कुल स्टार्टअप कंपनियों की संख्या महज 471 थी. भारत में पिछले सालों में सरकारी इनीशिएटिव और माहौल तैयार होने के चलते स्टार्टअप बिजनेस शुरू करने का कॉन्फिडेंस आया है. Zomato, Ola जैसी कई कंपनियां हैं जिनकी शुरुआत स्टार्टअप के तौर पर हुई और अब ये अपने सेक्टर में लीडिंग कंपनियां हैं. जोमैटो यूनिकॉर्न कंपनी बनने के बाद पिछले साल लिस्ट भी हो गई है. यूनिकॉर्न कंपनी बनने का मतलब ऐसी कंपनियों से है, जिनकी बाजार में वैल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर के बार जा चुकी है. लेकिन एक और ट्रेंडी टर्म है- 'Soonicorn.'

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सूनिकॉर्न क्या है? 

हो सकता है कि आपने इसके मतलब का अंदाजा वर्ड के स्ट्रक्चर से लगा लिया हो.  इसका सीधा मतलब होता है- "A company that has the potential to be a unicorn soon" यानी कि ऐसी कंपनी जो जल्दी ही यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होने की क्षमता रखती हो, जिसका वैल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर के पार पहुंचने की राह पर हो. 

आमतौर पर ऐसा होता है कि इन कंपनियों को अभी एंजल इन्वेस्टर्स या वेंचर कैपिटलि कंपनियों से फंडिंग मिलती है. कंपनी जिस इंडस्ट्री में है, उसमें भविष्य के लिए अनुमानों और कंपनी के वैल्युएशन के आकलन या असेसमेंट के आधार पर कंपनी का वैल्युएशन निकाला जाता है. ऐसा भी होता है कि बड़ी कंपनियां इनकी संभावनाओं को देखते हुए इनको फंडिंग देती हैं, जिससे इनका नेटवर्थ बढ़ता है. कभी-कभी ये कंपनियां इनका आंशिक या पूर्ण अधिग्रहण भी कर लेती हैं, जिससे इनकी वैल्युएशन बढ़ जाती है.

अगर भारत के बूमिंग स्टार्टअप इकोसिस्टम में कुछ सूनिकॉर्न कंपनियों के नाम देखें तो इनमें- Ather, BookMyShow, BankBazaar जैसी कंपनियों का नाम शामिल है.