पेट्रोलियम ईंधन की बढ़ती कीमतें और पेट्रोलियम वाहनों से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार बायोगैस, सोलर एनर्जी समेत तमाम विकल्पों के इस्तेमाल पर जोर दे रही है. इस कड़ी में देशभर में 5000 से ज्यादा कॉम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट (Compressed Biogas plant) लगाने की योजना है. बायोगैस प्लांट से सीएनजी की खपत को भी सहारा मिलेगा. सरकार की योजना है कि बायोगैस प्लांट से वाहनों में इस्तेमाल होने वाला ईंधन तैयार किया जाए.

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पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (Ministry of Petroleum and Natural Gas) के मुताबिक, यदि देश में उपलब्ध कम्प्रेस्ड बायोगैस (Compressed Biogas plant) संभावनाओं का पूरी तरह दोहन किया जाता है तो यह प्राकृतिक गैस की मांग को पूरी करने में सक्षम होगी. पूरी तरह दोहन करने पर इससे 6.20 करोड़ टन बायोगैस का उत्पादन हो सकेगा.

पेट्रोलियम मंत्रालय ने अक्टूबर 2018 में सस्ते ट्रांसपोर्ट सिस्टम (cheap transportation) के लिये सतत विकल्प योजना की शुरुआत की थी. इस पहल के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं गैस कंपनियों को कॉम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट लगाने के लिये व्यक्तिगत उद्यमियों से रुचि पत्र आमंत्रित किये जायेंगे.

सस्ते ट्रांसपोर्ट सिस्टम (cheap transportation) के लिए सतत विकल्प की इस पहले के तहत देशभर में 5,000 के करीब कॉम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट लगाये जाने हैं. इनमें 2023 तक डेढ़ करोड़ टन सीबीजी का उत्पादन होने का अनुमान है. इस गैस की खपत पूरी तरह से सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा कर ली जाएगी.

पेट्रोलियम मंत्रालय (Ministry of Petroleum) के मुताबिक, यदि डेढ करोड़ टन सीबीजी उत्पादन के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाता है तो इससे मौजूदा सीएनजी खपत के 40 प्रतिशत की भरपाई कर ली जायेगी. वर्ष 2018- 19 में सीएनजी की खपत 4.40 करोड़ टन रही है.

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सरकार खरीदेगी कॉम्प्रेस्ड बायोगैस

शहरी और ग्रामीण इलाकों में आंत्रप्रेन्योर्स को कॉम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट लगाने के लिए आमंत्रित किया जाएगा. इन प्लांट्स में तैयार होने वाली कॉम्प्रेस्ड बायोगैस को सरकार खरीदेगी और उसका इस्तेमाल वाहनों के ईंधन के तौर पर करेगी. इस योजना के जरिए सरकार सस्ता वाहन ईंधन तो मुहैया कराएगी ही साथ में कृषि अवषेशों का सही इस्तेमाल होगा और पशु मल तथा शहरी कचरे का इस्तेमाल भी हो सकेगा.