Tata Motors Q4 Results: देश की दिग्गज ऑटो कंपनी टाटा मोटर्स ने मार्च तिमाही के नतीजे जारी कर दिए हैं. कंपनी को जनवरी से मार्च के दौरान 5407.8 करोड़ रुपए का प्रॉफिट हुआ है.सालभर पहले की समान तिमाही में 1,032.84 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था. टाटा मोटर्स ने कहा कि भारत में डिमांड से वॉल्यूम में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. JLR की सप्लाई भी अच्छी हुई है.  

Q4 में कंपनी का शानदार प्रदर्शन

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एक्सचेंज फाइलिंग के मुताबिक कंपनी की आय 1,05,932.35 करोड़ रुपए रही, जो कि सालभर पहले की समान तिमाही में 78,439.06 करोड़ रुपए था. यानी आय में 35.05% का इजाफा हुआ है. टाटा मोटर्स के कामकाजी मुनाफे में भी 58.3 फीसदी का इजाफा हुआ है, जोकि 8282.8 करोड़ रुपए से बढ़कर 13115 करोड़ रुपए हो गया है. मार्जिन में भी इजाफा देखने को मिला. यह 11.1 फीसदी से 12.4 फीसदी पर पहुंच गया. 

डिविडेंड को मंजूरी

एक्सचेंज को दी जानकारी के मुताबिक बोर्ड ने डिविडेंड को भी मंजूरी दी. टाटा मोटर्स के निवेशकों को 2 रुपए के फेस वैल्यू पर 100% और टाटा मोटर्स डीवीआर के निवेशकों को 105% का डिविडेंड मिलेगा. खास बात यह है कि FY16 के बाद पहली बार कंपनी देगी डिविडेंड का ऐलान किया. टाटा मोटर्स अब तक घाटों के चलते डिविडेंड नहीं पाई थी.  

डिविडेंड क्या होता है?

डिविडेंड एक तरह का भुगतान है, जो कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स को करती है. जब आप डिविडेंड का पेमेंट करने वाले शेयरों के ओनर होते हैं, तब आपको कंपनी के मुनाफे के एक हिस्से का पेमेंट किया जाता है. जो आपको इनकम अर्न करने में मदद कर सकता है. डिविडेंड को भुगतान करने वाली कंपनी के शेयरहोल्डर्स तब तक एलिजिबल होते हैं, जब तक डिविडेंड प्री-डेट से पहले उनके पास होता है.

डिविडेंड का पमेंट कंपनी की रिटेन्ड अर्निंग से भी किया जा सकता है. जो सालों से जमा किए गए प्रॅाफिट का एक प्रकार का सेविंग अकाउंट है. कंपनियां स्टॉक में डिविडेंड का पेमेंट भी कर सकती हैं. जिसका मतलब है कि वे कैश के बजाय इक्विटी शेयर देती हैं. डिविडेंड को देने या न देने का फैसला खुद कंपनी का होता है. कंपनी के शेयरों को डिविडेंड यील्ड स्टॅाक्स कहते हैं. 

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