Tata Motors Dividend: निवेशकों को शेयर बाजार में स्टॉक रिटर्न के अलावा डिविडेंड के जरिए भी तगड़ी कमाई होती है. आम हो या खास सभी तरह के निवेशकों को टाटा ग्रुप स्टॉक्स पसंद है. इसमें अगर हम टाटा मोटर्स के शेयर की बात करें तो इसके लिए निवेशकों की रुचि ज्यादा ही है. कंपनी करीब 5 साल बाद डिविडेंड देने वाली है. इससे पहले वित्त वर्ष 2016 में ऑटो कंपनी ने निवेशकों को डिविडेंड दिया था. उसके बाद लगातार घाटे के चलते कंपनी ने डिविडेंड नहीं दिया. 

5 साल बाद मिलेगा डिविडेंड?

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एक्सचेंज को दी जानकारी के मुताबिक टाटा मोटर्स की बोर्ड मीटिंग 12 मई को है. खास बात यह है कि FY16 के बाद पहली बार कंपनी देगी डिविडेंड का ऐलान कर सकती है. बता दें कि डिविडेंड के लिए किसी भी फाइनेंशियल ईयर में मुनाफा होना जरूरी है. टाटा मोटर्स के लिहाज से देखें तो कंपनी की डिविडेंड डिस्ट्रीब्युशन पॉलिसी में कई सारे पैरामीटर में मुनाफा भी शामिल हैं. कंपनी अब तक घाटों के चलते डिविडेंड नहीं पाई थी. 

कम मुनाफे के चलते कोई डिविडेंड नहीं  

साल          मुनाफा 

FY22          -1391 

FY21          -2395 

FY20          -7290 

FY19          +2021 

FY18          -1035 

FY17          -2480 

FY16           234 

टाटा मोटर्स का तिमाही प्रदर्शन  

तिमाही     मुनाफा (Cr) 

Q3FY23      506 

Q2FY23     -293 

Q1FY23     -181 

Q4FY22     +413 

Q3FY22      175 

Q2FY22     -659 

Q1FY22    -1321 

Q4FY21    +1646 

Q3FY21     -638 

Q2FY21    -1212 

Q1FY21    -2190 

Q4FY20    -4871 

Q3FY20    -1040 

Q2FY20    -1282 

Q1FY20    -97 

डिविडेंड क्या होता है?

डिविडेंड एक तरह का पेमेंट है जो कंपनी अपने शेयरहोल्डरेस को करती है. NSE की ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार, जब आप डिविडेंड का पेमेंट करने वाले शेयरों के ओनर होते हैं, तब आपको कंपनी के मुनाफे के एक हिस्से का पेमेंट किया जाता है. जो आपको इनकम अर्न करने में मदद कर सकता है. डिविडेंड को भुगतान करने वाली कंपनी के शेयरहोल्डर्स तब तक एलिजिबल होते हैं, जब तक डिविडेंड प्री-डेट से पहले उनके पास होता है.

डिविडेंड का पमेंट कंपनी की रिटेन्ड अर्निंग से भी किया जा सकता है. जो सालों से जमा किए गए प्रॅाफिट का एक प्रकार का सेविंग अकाउंट है. कंपनियां स्टॉक में डिविडेंड का पेमेंट भी कर सकती हैं. जिसका मतलब है कि वे कैश के बजाय इक्विटी शेयर देती हैं. डिविडेंड को देने या न देने का फैसला खुद कंपनी का होता है. कंपनी के शेयरों को डिविडेंड यील्ड स्टॅाक्स कहते हैं. ज्यादातर पीएसयू सेक्टर की कंपनियां शेयरहोल्डर को डिविडेंड देती हैं. 

 

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