Tata Consumer-Bisleri Deal: टाटा ग्रुप (Tata Group) की तरफ से टाटा कंज्‍यूमर प्रोडक्‍ट्स (Tata Consumer Products) और बिसलेरी डील पर बड़ा बयान आया है. हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा गया कि टाटा कंज्‍यूमर-बिसलेरी की डील अटल गई है. इसके बाद टाटा कंज्‍यूमर की सफाई आई है, जिसमें कहा गया है कि बिसलेरी से बातचीत अभी भी चल रही है. कंपनी लगातार ग्रोथ और विस्‍तर के अवसर तलाशती है. कंपनी नए अधिग्रहण का संभावनाएं देखती रहती है. इसमें उन्‍होने बिसलेरी का भी जिक्र किया है. बिसलेरी के साथ बातचीत होल्‍ड की खबर पर कंपनी ने साफ तौर पर कहा है कि बातचीत रूकी नहीं है. 

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टाटा कंज्यूमर का कहना है कि बिसलेरी से बातचीत अभी भी जारी है. इसकी प्रक्रिया चल रही है. इस बातचीत की प्रक्रिया में आगे जो भी डेवलपमेंट सामने आते हैं,उसकी जानकारी स्‍टॉक एक्‍सचेंज को दी जाएगी. साथ ही जो भी डिस्‍क्‍लोजर होंगे, वो दिए जाएंगे. सही समय पर अधिग्रहण के संबंध में घोषणा दी जाएगी. 

टाटा कंज्‍यूमर-बिसलेरी डील के बारे में बात करें, तो सितंबर 2022 में उन्‍होंने कहा था कि ये डील हो सकती है. वे काफी ऑप्‍शन तलाश रहे हैं. यहां पर अगर हम अनुमानित डील की वैल्‍युएशन आंकते हैं, तो करीबन 6000-7000 करोड़ रुपये है. कंपनी की चिंता वैल्‍युएशन को लेकर ही है. इस पर का गया कि ये वैल्‍युएशन बहुत ज्‍यादा है. लेकिन टाटा कंज्‍यूमर ने साफ कहा है कि डील रूकी नहीं है. बातचीत जारी है.  

अगर इस वैल्युएशन पर डील होती है, तो FMCG सेक्टर में सबसे बड़ी डील होगी. इससे पहले, HUL ने April 2020 में Horlicks का अधिग्रहण 3,045 करोड़ रुपये में GSK से किया था. 

बोतलबंद पानी का मार्केट 

  • पैकेज्‍ड ड्रिंकिंग वाटर का मार्किट साइज 20000 करोड़ रुपये है. 
  • करीब 60 फीसदी बाजार अनऑर्गनाइज्‍ड है. 
  • बिसलेरी के पास 32 फीसदी की मार्केट में हिस्सदारी है. 

 

क्यों बिक रही है बिसलेरी?

बिसलेरी के बिकने का मुख्य कारण उत्तराधिकारी का न होना है. दरअसल, जो कंपनी के प्रमोटर हैं- रमेश चौहान. उनका कहना है कि अब उनकी उम्र हो गई है. वो 82 साल के हैं, कुछ स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं और उनका कोई उत्तराधिकारी भी नहीं है. उनकी बेटी जयंती इस कंपनी को आगे ले जाने में उतनी दिलचस्पी नहीं रखती हैं, जिसकी वजह से कंपनी ने बिक्री का विकल्प चुना है.

Bisleri की हिस्ट्री, कैसे बना इतना बड़ा ब्रांड

बिसलेरी 30 साल पुरानी कंपनी है. 1969 में रमेश चौहान ने इटली की कंपनी बिसलेरी लिमिटेड को खरीदा था. उस वक्त यह कंपनी संपन्न वर्ग के लिए कांच की बोतल में मिनरल वॉटर बेचती थी. कंपनी को खरीदने के पीछे सोडा ब्रांड में बदलना था. रमेश चौहान ने तीन दशक पहले अपने सॉफ्ट ड्रिंक कारोबार को अमेरिकी पेय पदार्थ कंपनी कोका-कोला को बेच दिया था.

उन्होंने थम्स अप, गोल्ड स्पॉट, सिट्रा, माजा और लिम्का जैसे ब्रांड 1993 में कंपनी को बेच दिए थे. लेकिन कोका-कोला को सॉफ्ट ड्रिंक के ब्रांड बेचने के बाद उन्होंने बस पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर पर फोकस किया और इसे शुद्ध जल का पर्याय बना दिया. चौहान 2016 में फिर से सॉफ्ट ड्रिंक के कारोबार में उतरे लेकिन उनके उत्पाद ‘बिसलेरी पॉप’ को उतनी सफलता नहीं मिली. 

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