कोरोना के दौरान पूरी देश में कई जानें गईं, साथ ही लाखों लोग बेरोजगार हुए. ऐसे में जीनियस कंसल्टेंट्स द्वारा हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकतर क्षेत्रों के करीब 73% अधिकारियों और कर्मचारियों का मानना है कि कोरोना की किसी भी नई लहर का असर रोजगार पर नहीं पड़ेगा. जबकि करीब 27% उत्तरदाता भविष्य के बारे में निश्चित नहीं थे. इस सर्वे का हिस्सा बैंकिंग, एजुकेशन, एफएमसीजी, इंजीनियरिंग, आईटी, आईटीईएस, बीपीओ, लॉजिस्टिक्स, मीडिया आदि क्षेत्रों के करीब 1,468 अधिकारी और कर्मचारी रहे. ये सर्वे ऑनलाइन किया गया था. इस सर्वे से पता चला कि 69 फीसदी से अधिक उत्तरदाता वायरस के किसी नए वेरिएंट का आना रोजगार के लिए असुरक्षित नहीं मानते. साथ ही 71 फीसदी से ज्यादा ने कहा कि नए वेरिएंट का डर उतना गंभीर नहीं होगा. 

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हाइब्रिड वर्क मॉडल कर सकते हैं अडॉप्ट 

सर्वे में शामिल में करीब 69 फीसदी लोगों के मुताबिक नए वैरिएंट के चलते जॉब को लेकर इनसिक्योरिटी के आसार नहीं हैं. हालांकि सभी का मानना है कि अगर भविष्य में लॉकडाउन जैसे हालात बनते हैं तो सैलरी में कटौती हो सकती है. 71 फीसदी लोगों का कहना था कि नया वैरिएंट अगर आता है तो यह उतना खतरनाक नहीं होगा, OMICRON वैरिएंट के दौरान हॉस्पिटलाइजेशन कम रहा और रिकवरी रेट भी बेहतर देखी गई. 64 फीसदी लोगों का मानना है कि अधिकतर कंपनियां कोरोना के केस बढ़ने पर हाइब्रिड वर्क मॉडल अडॉप्ट कर सकती हैं.

 

सी-सुइट एग्जेक्यूटिव्स रहे सर्वे का हिस्सा 

सी-सुइट एग्जेक्यूटिव्स का मतलब है किसी भी कंपनी के एग्जेक्यूटिव मैनेजर्स का शामिल होना, जैसे कि चीफ एग्जेक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ), चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (सीएफओ), चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) और चीफ इंफॉर्मेशन ऑफिसर (सीआईओ).