चीनी कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका है. इथेनॉल के उत्पादन के लिए शुगर के इस्तेमाल पर सरकार ने सख्ती की है. शुगर की पर्याप्‍त सप्‍लाई के चलते यह फैसला लिया है. सरकार मिलों को B- हैवी मोलासेस से इथेनॉल बनाने पर रोक सकती है. C-हैवी इथेनॉल पर कोई रोक नहीं है. सूत्रों के मुताबिक, आज दिन के अंत तक फाइन प्रिंट आ सकता है.

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सूत्रों के मुताबिक, इंडस्ट्री ने सरकार से बात की है. इंडस्‍ट्री का कहना है कि B-हैवी से C हैवी में तुरंत स्विच करना मुश्किल है. इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन (ISMA) का कहना है, 2023-24 मार्केटिंग साल में प्रोडक्‍शन 8 फीसदी  घट सकता है. ब्राजील में उत्पादन बढ़ने की उम्मीद से रॉ शुगर की कीमतें 7 फीसदी घटी है. 

जानकारी के मुताबिक, सरकार चीनी कंपनियों की बजाय ग्रेन या अन्‍य कंपनियों से एथेनॉल लेने पर विचार कर रह है. ये चीनी कंपनियों के लिए बड़ा झटका हो सकता है क्‍योंकि चीनी कंपनियों की 80 फीसदी कमाई एथेनॉल से आती है. 

एथेनॉल पॉलिसी में हो सकता है बदलाव

सरकार एथेनॉल को लेकर पॉलिसी में बदलाव करती है, तो ग्रेन बेस्ड इथेनॉल बनाने वाली कंपनियों को फायदा होगा. 31 अक्टूबर 2024 तक इथेनॉल के लिए 339 करोड़ के आर्डर मिले. 4 दिसंबर को इथेनॉल सप्लाई करने के लिए OMCs से 572 करोड़ रुपये का आर्डर मिले. 

केंद्र ने सोमवार को राज्यसभा को बताया कि भारत में वर्तमान एथेनॉल उत्पादन क्षमता 1,364 करोड़ लीटर है और फ्यूल ब्‍लेंडिंग टारगेट को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. एथेनॉल रोडमैप के अनुरूप, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने एथेनॉल सप्‍लाई साल 2021-22 के दौरान 10 फीसदी और एथेनॉल सप्‍लाई साल 2022-23 के दौरान 12 फीसदी एथेनॉल ब्‍लेंडिंग का लक्ष्य हासिल किया है. 

बता दें, बी-हैवी शीरे से एथेनॉल बनाकर पेट्रोल में मिलाया जाता है. बी-हैवी बनाने से गन्ने का इस्‍तेमाल एनर्जी के एक स्रोत के रूप में होता है और इससे चीनी का प्रोडक्‍शन भी कम होता है.