रोज वैली ग्रुप के निवेशकों के लिए अच्छी खबर, जल्द मिलेगा फंसा हुआ पैसा, SEBI करने वाला है बड़ी नीलामी
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) रोज वैली ग्रुप द्वारा अवैध योजनाओं के माध्यम से लोगों से जुटाये गये धन की वसूली के लिए समूह की कंपनियों की 22 संपत्तियों की नीलामी करेगा. 20 मई को होने वाली इस नीलामी के लिए आरक्षित मूल्य 8.6 करोड़ रुपये रखा गया है.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) रोज वैली ग्रुप द्वारा अवैध योजनाओं के माध्यम से लोगों से जुटाये गये धन की वसूली के लिए समूह की कंपनियों की 22 संपत्तियों की नीलामी करेगा. 20 मई को होने वाली इस नीलामी के लिए आरक्षित मूल्य 8.6 करोड़ रुपये रखा गया है.
कब होगी नीलामी?
सेबी ने सोमवार को एक नोटिस में कहा कि जिन संपत्तियों की नीलामी की जाएगी उनमें पश्चिम बंगाल में स्थित फ्लैट और कार्यालय स्थल शामिल हैं. ई-नीलामी 20 मई को सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे के बीच आयोजित की जाएगी. इन संपत्तियों का कुल आरक्षित मूल्य 8.6 करोड़ रुपये रखा गया है.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने कहा कि उसने संपत्तियों की बिक्री में मदद के लिए क्विकर रियल्टी की सेवा ली है. समिति परिसंपत्तियों की बिक्री की निगरानी करेगी और धन का उपयोग निवेशकों को भुगतान करने के लिए किया जाएगा. कलकत्ता उच्च न्यायालय के मई, 2015 में पारित एक आदेश के बाद समिति का गठन किया गया था.
बोली लगाने वालों के लिए निर्देश
नोटिस के अनुसार, बोली लगाने वालों को अपनी बोली जमा करने से पहले नीलामी में रखी गई संपत्तियों की देनदारी, कानूनी विवाद, कुर्की और देनदारियों के संबंध में पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए. नियामक ने जून, 2022 में निवेशकों के कुल 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया की वसूली के लिए रोज वैली होटल्स एंड एंटरटेनमेंट लि. और उसके तत्कालीन निदेशकों के बैंक खातों के साथ-साथ शेयर तथा म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स को कुर्क करने का आदेश दिया था. निवेशकों को धन लौटाने के सेबी के निर्देशों का पालन करने में विफल रहने के बाद यह कदम उठाया गया था.
नियामक ने नवंबर, 2017 में रोज वैली और उसके तत्कालीन निदेशकों को उन निवेशकों को हजारों करोड़ रुपये वापस करने का आदेश दिया था, जिन्होंने समूह की अवैध योजनाओं में पैसा लगाया था. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मार्च, 2023 में खुलासा किया कि रोज वैली ग्रुप के खिलाफ जांच के तहत धन शोधन निरोधक कानून के तहत लगभग 150 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की गई हैं. ईडी के अनुसार असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, ओडिशा झारखंड और कई अन्य राज्यों में एजेंटों के माध्यम से ‘फर्जी’ योजनाओं के जरिये धन जुटाया गया था.