रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ऐसे दस्तावेज की मांग कर रही है जो मुद्दे से जुड़े नहीं हैं. एसीबी केजी-डी6 बेसिन से उत्पादित गैस की कीमत में वृद्धि में कथित अनियमितताओं को लेकर कंपनी तथा अन्य के खिलाफ जांच कर रहा है.

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न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल की अदालत में दखिल हलफनामे में कंपनी ने कहा कि एसीबी हजारों पन्नों के ऐसे दस्तावेज मांग रहा है जिनका गैस कीमत के निर्धारण से कोई मतलब नहीं है. इसमें यह भी कहा गया है कि 28 अप्रैल 2014 और 24 मई 2018 के बीच एसीबी ने कंपनी के अधिकारियों को 27 बार तलब किया. इससे पहले, अदालत ने 12 अप्रैल को आरआईएल से पूछा था कि ब्यूरो ने कंपनी के अधिकारियों को कितनी बार तलब किया और उनसे कौन-कौन से दस्तावेज मांगे गए थे. कंपनी उस पर दाखिल हलफनामे में यह बात कही है. 

कंपनी ने उससे पहले आरोप लगाया था कि एसीबी उसके शीर्ष अधिकारियों को परेशान कर रही है. आरआईएल का यह भी कहना था कि अधिकारियों को बुलाया जरूर जाता है लेकिन उनसे कुछ नहीं पूछा जाता. सिर्फ बैठाकर वापस भेज दिया जाता है. उच्च न्यायालय आरआईएल की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. याचिका में मामले की जांच पर रोक लगाने का आग्रह करते हुए कहा है गया है कि एसीबी ने उसके तीन वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया है जबकि 2015 से एजेंसी ने अबतक कुछ नहीं किया है.

प्राथमिकी में कंपनी के अलावा संप्रग सरकार में मंत्री रहे एम. वीरप्पा मोइली और मुरली देवड़ा, आरआईएल के चेयरमैन मुकेश अंबानी, हाइड्रोकार्बन के पूर्व महानिदेशक वीके सिब्बल और अन्य अज्ञात लोगों के नाम हैं. देवड़ा का निधन हो चुका है. इस प्राथमिकी को केंद्र सरकार ने चुनौती दी है. उल्लेखनीय है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूर्व में एसीबी से मामले में प्राथमिकी दर्ज करने को था.