दलहन की बुआई इस साल घट सकती है. और इस बात की आशंका जताई जा रही है कि इस साल कुल बुआई के रकबे में 10 फीसदी तक की कमी आ सकती है क्योंकि, पिछले साल के मुकाबले अब तक 18.58 फीसदी कम बुआई हुई है.

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पिछले साल इस सीजन में 102 लाख हेक्टेयर में दलहनी फसलों की बुआई हुई थी. जबकि इस साल अब तक मात्र 83 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई हुई है. 

ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि नेफेड के पास 25 लाख टन दाल का स्टॉक है. सरकार के पास भी अलग से दाल का स्टॉक है. सरकार के अलावा व्यापारी और दाल निर्माताओं के पास भी पर्याप्त मात्रा में दाल का स्टॉक है.

दाल की कम बुआई की वजहों का खुलासा करते हुए सुरेश अग्रवाल ने बताया कि लगभग 32 महीनों से किसानों को दाल का समर्थन मूल्य नहीं मिला है, जिसके चलते किसानों को तूर, मूंग और उड़द में काफी नुकसान हुआ है. इसलिए किसान उन फसलों की तरफ रुख कर गया है जिनका समर्थन मूल्य अच्छा मिल रहा है. जैसे- कपास, सोयाबीन, मूंगफली आदि. सरकार ने सोयाबीन में 399 रुपये समर्थन मूल्य बढ़ाया है. 

 

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इसके अलावा कुछ इलाकों में बरसात कम हुई है, जिससे किसानों ने दलहन की बुआई नहीं की है. 

बुआई कम होने से दाल की कीमतें बढ़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बुआई कम होने से दाल की कीमतों पर कुछ खास असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि, एक तो देश में दाल का अच्छी मात्रा में स्टॉक है. दूसरा, सरकार ने 8.5 लाख मीट्रिक टन दाल आयात करने का फैसला लिया है. मोजांबिक से भी 2 लाख मीट्रिक टन दाल का पुराना एग्रीमेंट बना हुआ है. इस कारण दामों पर लगाम लगी रहेगी. हालांकि कीमतों में 4-5 रुपये प्रति किलोग्राम तक का इजाफा अगले 2-3 महीनों में हो सकता है.