पीटीसी इंडिया फाइनेंशियल सर्विसेज में हाल के दिनों में गवर्नेंस के मोर्च पर कई कमियों का उजागर हुआ. यह PTC India की सब्सिडियरी और एक नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी है. पीटीसी इंडिया फाइनेंशियल सर्विसेज के बोर्ड को लोन अकाउंट में होने वाले कई तरह के फ्रॉड को लेकर अंधेरे में रखा गया. इस पूरे मामले को लेकर SEBI ने  PFS को दो टॉप मैनेजमेंट राजीब मिश्रा और पवन सिंह को नोटिस जारी किया है. पवन सिंह कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ थे, जिन्हें जबरदस्ती अपने पद से बेदखल किया गया है. पूर्व चेयरमैन राजीब मिश्रा को नया CMD नियुक्त किया गया है. दोनों पर SEBI ने मिस-मैनेजमेंट का आरोप लगाया है. 6 इंडिपेंडेंट डायरेक्टर  पीटीसी इंडिया फाइनेंशियल सर्विसेज के बोर्ड से 2022 में इस्तीफा दे दिया था. सेबी के नोटिस में कहा गया कि इन डायरेक्टर्स ने जिन मामलों को उठाया, उसपर कभी ध्यान ही नहीं दिया गया.

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सेबी ने क्या कहा है?

सेबी ने कहा कि  रत्नेश कुमार को PFS का बोर्ड ज्वाइन करना था. इसकी मंजूरी बोर्ड और कमिटी से मिल गई थी. इसके बावजूद पवन सिंह ने उन्हें ज्वाइन नहीं करने दिया. बाद में उन्होंने दोबारा NTPC को ज्वाइन कर लिया. सिंह ने कहा कि रत्नेश कुमार के पास NBFCs को चलाने का अनुभव नहीं है. इसलिए उनकी ज्वाइनिंग को मंजूर नहीं किया गया.

फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट दबा दी गई

सिंह और मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने जान बूझकर दो सालों के लिए फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट को बाहर नहीं आने दिया. इसी ऑडिट रिपोर्ट में लोन अकाउंट से फ्रॉड का जिक्र किया गया था.  नागपट्टनम पावर एंड इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड (NPL) से जुड़े लोन अकाउंट में फ्रॉड हुआ था. पटेल धारा-झालावाड़ हाइवे प्राइवेट लिमिटेड को लोन देने के लिए शर्तों में भी कई बदलाव किए गए थे. इन कामों के लिए बोर्ड से मंजूरी भी नहीं ली गई थी. सेबी का कहना है कि PFS के पूर्व चेयरमैन दीपक अमिताभ की तरफ से जो मुद्दे उठाए गए थे, उसपर दोनों ने ध्यान नहीं दिया. इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स के सुझावों को भी दरकिनार किया गया. इन तमाम बातों से बोर्ड को भी अलग रखा गया.

फंड का डायवर्जन

फारेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि NPL को जो ब्रिज लोन जारी किया गया था उसमें फंड का डायवर्जन और गलत इस्तेमाल हुआ है. यह खुले तौर पर फ्रॉड की तरफ इशारा करता है. PFS ने इसकी सूचना रिजर्व बैंक को नहीं दी. फारेंसिक रिपोर्ट में कहा गया कि नॉन-कम्प्लायंस के पीछे गलत धारणा को पूरी तरह जिम्मेदार नहीं बता सकते, लेकिन यह लापरवाही, कमजोर सिस्टम और कंट्रोल के अभाव को दर्शाता है. यह मैनेजमेंट फेलियर का मामला बनता है.

2017 में बना NPA

NPL साल 2017 में नॉन परफार्मिंग असेट बन गया था. पहली फारेंसिक ऑडिट रिपोर्ट 2018 में आई थी, लेकिन पीएफएस बोर्ड को इसकी जानकारी दिसंबर 2020 में दी गई. 2022 की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया कि लोन सिक्योरिटी के लिए प्रोजेक्ट लैंड से संबंधित जो मोर्गेज जमा किया गया था, उसका NOC राज्य सरकार से नहीं था. लोन डीड के लिए यह बहुत जरूरी था. लोन मॉनिटरिंग टीम के प्रमुख सिंह थे और उन्होंने फंड के इस्तेमाल को कभी ट्रैक नहीं किया. 18 महीनों तक वे अनभिज्ञ रहे.

IDs को काम करने से रोका गया

SEBI ने यह भी कहा कि PFS के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर को बाधाओं के रूप में देखा गया और राजीब मिश्रा और पवन सिंह ने मिलकर उनके अधिकार को कमजोर कर दिया. उन्हें अपने काम करने से लगातार रोका गया. राजीब मिश्रा को लेकर सेबी ने कहा कि लगातार दखल के कारण इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स अपनी जिम्मेदारियों को नहीं निभा सके. चेयरमैन ने भी अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई  और इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स को उनके काम में सहयोग नहीं किया गया.

शेयर होल्डर्स के इंटरेस्ट में नहीं किया काम

सेबी का मानना है कि मिश्रा ने शेयर होल्डर्स के इंटरेस्ट में काम नहीं किया. उन्होंने बोर्ड की सलाह को हमेशा दरकिनार किया. मैनेजमेंट से कभी सवाल नहीं पूछे गए. इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के सुझावों को सिरे से नकारा गया और कभी भी उसपर ध्यान देने की कोशिश नहीं हुई. बोर्ड मेंबर्स में जब भी किसी मुद्दे पर टकराव हुआ, उसे सुलझाने का भी प्रयास नहीं किया गया.

पवन सिंह को लेकर क्या कहा गया?

फॉरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए सेबी ने कहा कि पवन सिंह फाइनेंस के डायरेक्टर थे.  लोन बांटने के नियम में लगातार बदलाव किए गए. ऐसी एंटिटीज को भी लोन बांटे गए जिन्होंने डिफॉल्ट किया या फिर देरी की. NSL लोन अकाउंट में फ्रॉड को लेकर सिंह ने रिजर्व बैंक और बोर्ड को जानकारी तक नहीं दी.

बोर्ड के फैसलों का उल्लंघन

सिंह ने विवेकपूर्ण और निष्पक्षता से कार्य करने से परहेज किया और कई बार बोर्ड के फैसलों का उल्लंघन किया. गुड गवर्नेंस प्रैक्टिस को पूरी तरह नकारा गया. उन्होंने अपने तरीके से काम किए और गलत प्रैक्टिस की शुरुआत हुई. MD और CEO होने की जिम्मेदारी को उन्होंने ठीक से नहीं निभाया. NSL डिफॉल्ट मामले में त्वरित और उचित कार्रवाई नहीं की गई. NSL का पहला रीपेमेंट डिफॉल्ट हुआ और 2017 में यह एनपीए बन गया.

19 जनवरी 2022 को IDs का इस्तीफा

बोर्ड में महिला इंडिपेंडेंट डायरेक्टर की नियुक्ति,  नॉमिनेशन एंड रिम्यूनरेशन कमिटी के गठन, NRC मीटिंग के आयोजन और कानूनी मदद की मांग कर रहे इंडिपेंडेंट डायरेक्टर की बातों को सिरे से नकारा गया. जब इंडिपेंडेंट डायरेक्टर् की बात नहीं मानी गई, सुझावों को अमल में नहीं लाया गया तब उन्होंने 19 जनवरी 2022 को अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. SEBI इस मामले में जल्द सिंह और मिश्रा के खिलाफ कार्यवाही शुरू करेगी. सेबी की तरफ  से जारी नोटिस को लेकर PFS और सेबी को मेल किया गया था. खबर लिखे जाने तक दोनों का जवाब नहीं आया था.

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