Paytm फाउंडर ने बताया उन्हें RBI एक्शन से क्या सीख मिली, Startups की मदद के लिए सरकार की तारीफ भी की
पेटीएम (Paytm) के संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने बिना किसी लाग-लपेट के कहा, ''मैं कहूंगा कि पेशेवर स्तर पर हमें बेहतर करना चाहिए था, इसमें कोई छिपी बात नहीं है. हमारे ऊपर जिम्मेदारियां थीं, हमें उन्हें और बेहतर तरीके से निभाना चाहिए था.''
पेटीएम (Paytm) के संस्थापक विजय शेखर शर्मा (Vijay Shekhar Sharma) ने शनिवार को पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर आरबीआई (RBI) की कार्रवाई से मिली सीख के बारे में बात की. उन्होंने स्वीकार किया कि यह व्यक्तिगत स्तर पर एक भावनात्मक झटका था, जबकि पेशेवर स्तर पर उन्हें जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभाने का सबक मिला. शर्मा ने बिना किसी लाग-लपेट के कहा, ''मैं कहूंगा कि पेशेवर स्तर पर हमें बेहतर करना चाहिए था, इसमें कोई छिपी बात नहीं है. हमारे ऊपर जिम्मेदारियां थीं, हमें उन्हें और बेहतर तरीके से निभाना चाहिए था.''
शर्मा से 7वें जेआईआईएफ स्थापना दिवस के मौके पर पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की कार्रवाई के बारे में पूछा गया था. शर्मा ने कहा कि वह इससे भी अधिक चुनौतीपूर्ण वक्त से गुजर चुके हैं. उन्होंने कहा, ''जब मैं 2013-14 के आसपास फंड जुटा रहा था, तब हमारे फंड खत्म हो रहे थे... मैंने सोचा कि अगर हम खत्म हो गए तो किसी को कोई परेशानी नहीं होगी. आज यह बात मायने रखती है. एक संस्थापक के रूप में मेरी कंपनी मेरी बेटी की तरह है... एक कंपनी के रूप में हम परिपक्व हो रहे हैं... यह ऐसा है जैसे स्कूल में टॉप करने वाली बेटी किसी प्रवेश परीक्षा के रास्ते में दुर्घटना का शिकार हो गई हो... यह एक ऐसा एहसास है जो थोड़ा व्यक्तिगत, भावनात्मक है.''
उन्होंने आगे कहा, ''...लेकिन मैं कहूंगा कि पेशेवर स्तर पर, हमें बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए था, यह कोई छिपी बात नहीं है. हमारे ऊपर जिम्मेदारियां थीं, हमें उसे बेहतर तरीके से निभाना चाहिए था.'' शर्मा ने कहा कि उनकी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा 100 अरब अमेरिकी डॉलर की कंपनी बनाने की है, और वह चाहते हैं कि पेटीएम ब्रांड को वैश्विक स्तर पर भारतीय कंपनी के रूप में पहचाना जाए.
'सरकार स्टार्टअप को मुख्यधारा में लाई'
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ऑनलाइन भुगतान मंच पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने कहा कि सरकार ने स्टार्टअप को मुख्यधारा में लाकर उनके लिए सचमुच स्वर्ण काल की शुरुआत कर दी है. उन्होंने कहा कि यह उन दिनों के मुकाबले एक आश्चर्यजनक बदलाव है, जब स्टार्टअप को करियर की तरह अपनाने में सबसे निचले पायदान पर रखा जाता था. शर्मा ने कहा कि व्यापार और प्रौद्योगिकी की भाषा में 'अमेरिकी स्वप्न' की जगह 'भारतीय स्वप्न' और 'भारतीय स्टार्टअप' ने ले ली है.
उन्होंने कहा कि यहां संस्थापकों और उद्यमियों के लिए यह "वास्तव में स्वर्ण काल" है. शर्मा ने जेआईआईएफ के सातवें स्थापना दिवस पर स्टार्टअप को मुख्यधारा में लाने और संस्थापकों को दृश्यता प्रदान करने का श्रेय सरकार को दिया. उद्यमियों से प्रौद्योगिकी और नवाचार का लाभ उठाकर अपने सामने मौजूद अवसरों का अधिकतम लाभ उठाने का आग्रह करते हुए पेटीएम प्रमुख ने कहा, "यह वास्तव में एक स्वर्ण काल है... और भारत का अब तक का सबसे अच्छा समय है."
शर्मा ने कहा कि भारत उस समय से बहुत आगे आ गया है जब नौकरी के इच्छुक लोग विदेश जाना पसंद करते थे या विदेशी आईटी कंपनियों या बड़ी घरेलू प्रौद्योगिकी फर्मों में नौकरी की उम्मीद करते थे. शर्मा ने कहा कि कॉलेज से निकलने वाले और नौकरी के इच्छुक लोग अब विदेश में नौकरी की तलाश करने के बजाय भारत में ही रहना पसंद करते हैं. जो कंपनियां आरंभिक सार्वजनिक निर्गम लाने की सोच रही हैं, शर्मा ने उन्हें सलाह दी कि वे भारतीय बैंकरों को चुनें और उन्हें कम न समझें.
09:07 AM IST