Online Reviews Regulations: ऑनलाइन शॉपिंग करते वक्त फेक रिव्यूज़ के जरिए ग्राहकों को ठगने के चलन पर रोकथाम के लिए अब नए नियम आ रहे हैं. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS standards for fake reviews) ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर आने वाली फेक रिव्यूज़ पर रोक लगाने के मकसद से कस्टमर रिव्यू पोस्ट करने वाले संगठनों के लिए एक नया मानक जारी किया है. नया मानक ई-कॉमर्स कंपनियों, यात्रा पोर्टल और फूड प्रॉडक्ट्स की सप्लाई करने वाले मंचों समेत उन सभी संगठनों पर लागू होंगे जो उपभोक्ताओं के ऑनलाइन रिव्यू प्रकाशित करते हैं. एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, देश में उत्पादों का मानक तय करने वाले निकाय बीआईएस ने भारतीय मानक (आईएस)- 19000:2022 प्रकाशित किया है जो ‘ऑनलाइन उपभोक्ता समीक्षाएं- उनके संकलन, संयमन एवं प्रकाशन के सिद्धांत एवं शर्तों' से संबंधित है.

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बयान के मुताबिक, ‘‘यह मानक ऑनलाइन उपभोक्ता समीक्षाओं को इकट्ठा करने और उन्हें प्रकाशित करने के दौरान समीक्षा प्रशासकों पर लागू होने वाले सिद्धांतों एवं पद्धतियों से जुड़ी अनुशंसाएं करता है. यह मानक रिव्यू लिखने वाले व्यक्ति और उस रिव्यू का प्रशासन करने वाले के लिए विशेष जिम्मेदारियों को तय करता है.’’ बीआईएस ने इस मानक के जरिये फेक रिव्यूज प्रकाशित करने वालीं वेबसाइट के लिए कुछ प्रक्रियाएं तय की हैं ताकि इन मंचों पर उपभोक्ताओं के विश्वसनीय रिव्यू छापे जा सकें.

पिछले कुछ वर्षों में ई-कॉमर्स मंचों के जरिये खरीदारी बढ़ने से कई उत्पादों को लेकर फर्जी रिव्यू पोस्ट करने का चलन भी तेजी से बढ़ा है. इन फर्जी रिव्यू के जरिये उपभोक्ताओं को प्रॉडक्ट के बारे में गलत तरीके से प्रभावित करने की कोशिश की जाती है. सरकार ने उपभोक्ताओं की ऑनलाइन खरीदारी पर इन रिव्यू के बढ़ते असर को कम करने के लिए उत्पादों के ऑनलाइन रिव्यू को अधिक वस्तुनिष्ठ और पारदर्शी बनाने की कोशिश की है. इस मानक को संबंधित पक्षों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद तैयार किया गया है.

नियम को अनिवार्य भी कर सकती है सरकार

बयान के मुताबिक, नया मानक आने से उपभोक्ताओं के बीच किसी उत्पाद के बारे में ऑनलाइन समीक्षा को देखकर भरोसा जगेगा और वे खरीदारी के बारे में बेहतर फैसले ले पाएंगे. इस मानक से ई-कॉमर्स पारिस्थितिकी से जुड़े सभी पक्षों को लाभ होने की संभावना है. उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने पिछले दिनों कहा था कि नया मानक स्वैच्छिक ढंग से ही लागू होगा लेकिन सरकार फर्जी रिव्यू पर लगाम न लग पाने की स्थिति में इसे अनिवार्य करने के बारे में भी सोच सकती है.

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