राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने 11 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को 14 मई को अगली सुनवाई तक आईएल एंड एफएस और उसकी समूह कंपनियों के खिलाफ किसी तरह की ‘जबरिया’ कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है. चेयरपर्सन न्यायधीश अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय एनसीएलएटी की पीठ ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ बैंकों को भी नोटिस जारी किया और उन्हें जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

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एनसीएलएटी ने कहा, “15 अक्टूबर, 2018 के आदेश को देखते हुए प्रतिवादी (बैंक) अगली तारीख तक आवेदक (आईएलएंडएफएस और समूह कंपनियों) के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेंगे.”

क्या है पूरा मामला?

एनसीएलएटी ने 15 अक्टूबर, 2018 को आईएलएंडएफएस और अन्य समूह कंपनियों के खिलाफ सभी कार्यवाही पर अपने अगले आदेश तक रोक लगा दी थी. इसने आईएलएंडएफएस के ऋणदाताओं को ऋण न चुकाने की स्थिति में मुकदमा दायर करने से भी रोक दिया था.

एनसीएलएटी का निर्देश मंगलवार को कर्ज में डूबे आईएलएंडएफएस के नवनियुक्त निदेशक मंडल द्वारा दायर एक तत्काल याचिका पर आया है. कंपनी की ओर से दायर याचिका में बैंकों को समूह की कंपनियों और उनके अधिकारियों के खिलाफ इरादतन चूककर्ता घोषित करने के लिए कोई भी कार्यवाही शुरू करने से रोकने का निर्देश देने की अपील की गई थी. अपीलीय न्यायाधिकरण ने आईएलएंडएफएस के आवेदन को अगली सुनवाई के लिए 14 मई, 2024 को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है.

वर्ष 2018 में भारी अनियमितता और वित्तीय संकट सामने आने के बाद एनसीएलएटी ने केंद्र की सिफारिश पर उसके तत्कालीन निदेशक मंडल को भंग कर दिया था. उस समय समूह पर 94,000 करोड़ रुपये का कर्ज था. आईएलएंडएफएस के मामलों का प्रभार लेने के लिए एक नया निदेशक मंडल नियुक्त किया गया और एनसीएलएटी ने संकटग्रस्त समूह के समाधान के लिए एक रूपरेखा तैयारी की.