इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने कंपनी के पूर्व सीईओ विशाल सिक्का का नाम लिए बगैर उनके साथ मतभेदों की चर्चा की. उन्होंने कहा, '2014 में मुख्य कार्यकारी अधिकारी का वेतन 55 प्रतिशत बढ़ाकर 70 लाख डॉलर कर दिया गया और मुख्य परिचालन अधिकारी को 30 प्रतिशत की वेतन वृद्धि दी गई. जबकि मध्यम श्रेणी में किसी का वेतन नहीं बढ़ाया गया. सुरक्षा गार्ड को बिना वेतन बढ़ाए एक दिन अतिरिक्त काम या ओवरटाइम करने के लिए बोल दिया गया. मेरे हिसाब से यह स्थापित मूल्यों का घोर उल्लंघन है.'

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उन्होंने कहा, 'जब उन मूल्यों पर सवाल खड़ा हुआ, जिन्हें हमने 33 साल से ज्यादा समय के अपने त्याग के बाद बनाया और हमने देखा कि उन्हें कूड़ेदान में फेंका जा रहा है, तब स्वाभाविक तौर पर हमें खड़े होना पड़ा.'

उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज में एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही. नारायण मूर्ति ने कहा यदि कंपनी की निष्पक्षता, पादर्शिता और जवाबदेही जैसे मूल्यों पर ही धूल चढ़ने लगे तब आपको उसके खिलाफ खड़े होने एवं अपनी निराशा और गुस्से को खुलकर जाहिर करने की जरूरत है.

मूर्ति एवं कंपनी के अन्य प्रमोटर शेयरधारकों के साथ लगभग एक साल तक विवाद चलने के बाद सिक्का ने 2017 में इंफोसिस को छोड़ दिया. सिक्का इंफोसिस के पहले ऐसे मुख्य कार्यकारी रहे जो उसके संस्थापकों में शामिल नहीं थे.

मूर्ति ने इस घटना को भारतीय समाज से जोड़ते हुए कहा कि हम भारतीय आमतौर पर किसी को ‘नाराज’ नहीं करना चाहते, यहां तक कि ऐसे समय में भी जब उसकी बहुत जरूरत हो.