दुनिया की कुल टमाटर पैदावार का 11 फीसदी भारत में पैदा होता है. पैदावार के मामले में भारत दुनिया में चीन के बाद नंबर दो पर है, वहीं टमाटर की खपत के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है. लेकिन टमाटर प्रोसेस करने के मामले में हम काफी पीछे हैं.

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टमाटर पैदा करने वाले दुनिया के टॉप 10 देशों में जहां टमाटर को प्रोसेस करने का रेश्यो कुल पैदावार का 25 प्रतिशत से भी ज्यादा है, वहीं भारत में ये सिर्फ 1 प्रतिशत है. इसी वजह से अक्सर टमाटर उगाने वाले किसान नुकसान में रहते हैं.

ताज्जुब की बात ये है कि जहां एक ओर भारतीय किसान अपनी टमाटर की फसल को सड़क पर फेंकने पर मजबूर होते हैं, वहीं देश में प्रोसेस्ड टमाटर की मांग हर साल 30 प्रतिशत की तेज़ी से बढ़ रही है. भारतीय फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री ने भी पिछले कुछ सालों में ग्राहकों की बदलती खाने की आदतों के हिसाब से खुद को बदला .शहरी बाज़ारों में प्रोसेस्ड फूड्स जैसे कि फ्रोज़ेन मीट, सब्जियां और फलों की खपत तेज़ी से बढ़ रही है. इसी बाज़ार का लाभ उठाने के लिए जापान की सबसे बड़ी टमाटर प्रोसेसिंग कंपनी कगोमे देश में उतरी है.

कगोमे फूड्स इंडिया के सीईओ रोहित भाटला के मुताबिक, "भारतीय फूड प्रोसेसिंग बाज़ार किसी भी अन्य देश की तुलना में ज़्यादा तेजी से आगे बढ़ रहा है. चाहे वह सलाद हो, घर का बना भोजन या फिर रेडी टू ईट पैकेट्स, व्यस्तता के इस दौर में लोगों को बहुत अधिक समय और प्रयास के बिना पौष्टिक भोजन चाहिए.”

कगोमे इंडिया अपने सारे प्रोडक्ट प्रिसरवेटिव फ्री, बिना किसी रंग या आर्टिफिशियल फ्लेवर के बनाते हैं. फिलहाल देश के छह राज्यों में अपनी मौजूदगी के साथ कंपनी कई टमाटर से तैयार उत्पाद जैसे कि सॉस, पेस्ट, प्यूरी आदि जापानी क्वालिटी कंट्रोल के साथ एडवांस इंफ्रास्ट्रक्चर पर तैयार करती है. कंपनी किसानों को फसल के दौरान भी टमाटर की फसल के बारे में तकनीकी जानकारी मुहैया करती है.

 

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फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के भविष्य पर बोलते हुए रोहित भाटला ने बताया कि इस सेक्टर को बढ़ाने में टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका होगी. सरकार फूड प्रोसेसिंग के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर भी कदम उठा रही है. इससे जल्दी खराब होने वाले फल, सब्जी जैसे उत्पादों का न सिर्फ बेहतर खरीद और स्टोरेज होगा, बल्कि प्रोसेसिंग के काम में भी तेजी आएगी.

इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक, पिछले कुछ साल में फूड प्रोसेसिंग सेक्टर का देश के जीडीपी में करीब 10 प्रतिशत का योगदान रहा है. भारतीय फूड और रिटेल इंडस्ट्री के साल 2020 तक बढ़कर तकरीबन 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

(रिपोर्ट- दानिश आनंद/ नई दिल्ली)