सरकार ने चीनी मिलों को राहत देते हुए चीनी के एमएसपी (न्यूनतम बिकवाली मूल्य) में 2 रुपये प्रति किलोग्राम का इजाफा किया है. सरकार के फैसले के बाद चीनी का एमएसपी 31 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है. न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) वह दर है जिसके नीचे, चीनी मिलें खुले बाजार में चीनी की बिक्री नहीं सकती हैं. गुरुवार को इस मसले पर कैबिनेट सचिवों के समूह की बैठक हुई. इस बैठक में चीनी बेचने की न्यूनतम कीमत 29 रुपए से बढ़कर 31 रुपए प्रति किलोग्राम कर दी गई. हालांकि इस प्रस्ताव पर पीएमओ पहले ही चर्चा कर चुका है. सरकार के इस फैसले से बाजार में चीनी की कीमतों में इजाफा हो सकता है.

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सरकार ने यह फैसला आर्थिक संकट से जूझ रहीं चीनी मिलों को राहत देने के लिए लिया है. पिछले साल केंद्र सरकार ने खुदरा चीनी की कीमतों में आई गिरावट के दौरान चीनी मिलों और चीनी निर्यात में मदद करने के लिए पूर्व-कारखाना चीनी बिक्री मूल्य 29 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था.

चीनी मिलों का तर्क था कि 29 रुपये पर चीनी की बिक्री करने पर चीनी मिलों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. चीनी मिल संगठन काफी समय से एमएसपी को 35 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग कर रहे थे.

जानकार बताते हैं कि सरकार ने एमएसपी में इजाफे की मांग पर यह शर्त रखी थी कि एमएसपी बढ़ोतरी के बाद शुगर मिल केंद्र सरकार से सब्सिडी की मांग नहीं करेंगी.

बता दें कि पिछले साल जून में सरकार ने शुगर इंडस्ट्री में पैसे की कमी को राहत देते हुए 7,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी और चीनी का एमएसपी 29 रुपये प्रति किलोग्राम तय किया था. केंद्र सरकार के अलावा यूपी सरकार ने भी चीनी मिलों को गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान के लिए 4,000 करोड़ रुपये ऋण की घोषणा की थी. इसके बाद भी चीनी मिलें किसानों का भुगतान करने में असफल रही हैं.

पिछले दिनों चीनी उद्योगों के प्रमुख संगठन, भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने कहा था कि जनवरी के अंत में गन्ने का बकाया लगभग 20,000 करोड़ रुपये है.