Divestment Plan: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को कहा कि सरकार औषधि क्षेत्र से जुड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की दो इकाइयों में हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है. भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस (आईपीए) द्वारा आयोजित वैश्विक फार्मास्युटिकल गुणवत्ता शिखर सम्मेलन में मांडविया ने कहा कि यह सोच व्यवसाय में न रहकर व्यवसायों के लिए एक सुविधा देने के रूप में कार्य करने की इच्छा पर आधारित है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उन्होंने कहा, “सरकार के पास 1-2 संयंत्र हैं. हम उनमें विनिवेश करने और निजी क्षेत्र को उनका संचालन करने देने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.” मंत्री ने हालांकि ऐसी किसी कंपनी का नाम नहीं बताया, जिसको लेकर सरकार की विनिवेश की योजना है. सरकार ने योजना की प्रगति के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी. 

कफ सीरप विवाद पर भी दिया बयान

मांडविया ने कहा कि भारत के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता गुणवत्ता को है. उन्होंने इससे संबंधित समस्याओं के निपटान के लिए एक स्व-नियामक संगठन बनाने के लिए उद्योग से साथ आने को कहा. भारत निर्मित खांसी के सीरप पीने से कथित रूप से गांबिया में बच्चों की मौत पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जताई गईं चिंताओं के बारे में पूछने पर मांडविया ने कहा कि अक्सर मीडिया की खबरें और धरातल पर सच्चाई में अंतर होता है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर सबूत मांगा था लेकिन उसे कोई सबूत नहीं मिला.

मंत्री ने यह भी कहा कि मरीजों की मौत का कारण डायरिया बताया गया. उन्होंने आश्चर्य जताया कि उन सभी को सबसे पहले खांसी वाला सीरप क्यों दिया गया. मंत्री ने आश्वासन दिया, “कोई दोषी मिलेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई जरूर होगी.” उन्होंने कहा कि सरकार गुणवत्ता को लेकर बहुत गंभीर है और देशभर में 150 संयंत्रों पर जोखिम आधारित आकलन किए हैं। इसमें से 70 को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है और 18 संयंत्रों को बंद कर दिया गया है. औषधि उत्पादों की गुणवत्ता को और मजबूत करने के लिए केंद्र और राज्यों ने इन पर नजर रखने के लिए दलों का गठन किया है.

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें