ताले बनाने वाली कंपनी बताया बिजनेस प्लान, 50 फीसदी मार्केट शेयर पर नजर, कीमत में हो सकती है कटौती
Godrej Locks Business Plan: ताले बनाने वाली कंपनी गोदरेज लॉक्स ने अपना बिजनेस प्लान बताया है. कंपनी की नजरें मार्केट शेयर को 30 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी करना है. जानिए क्या बोले कंपनी के बड़े अधिकारी.
Godrej Locks Business Plan: ताले और सुरक्षा समाधान प्रदाता कंपनी गोदरेज लॉक्स (तालों समेत) का लक्ष्य तीन साल में बाजार हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक पहुंचाने का है. कंपनी ने कहा है कि इसके लिए वह सस्ते उत्पाद की नई सीरीज लाएगी और मौजूदा उत्पादों की कीमतों में कटौती करेगी. गोदरेज लॉक्स एंड आर्किटेक्चरल सिस्टम्स के कारोबार प्रमुख श्याम मोटवानी ने कहा कि कंपनी के नए उत्पाद मौजूदा तालों की तुलना में 50 प्रतिशत से ज्यादा सस्ते हैं.
Godrej Locks Business Plan: मौजूदा दामों में की जाएगी कटौती, सात से आठ फीसदी होंगे सस्ते
श्याम मोटवानी ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि कंपनी लगभग तीन साल में बड़ी बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए मौजूदा तालों के दाम घटाएगी और कम कीमत वाले नए उत्पाद पेश करेगी. मोटवानी ने कहा कि हमारा लक्ष्य इस क्षेत्र में अपनी हिस्सेदारी को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक करने का है. उन्होंने कहा कि मौजूदा तालों को भी सात-आठ प्रतिशत तक सस्ता बनाने का प्रयास किया गया है.
Godrej Locks Business Plan: दूसरी, तीसरी और चौथी श्रेणी को ध्यान में रखकर बनाए जाएंगे प्रोडक्ट्स
श्याम मोटवानी के मुताबिक कंपनी को दूसरी, तीसरी और चौथी श्रेणी के शहरों में अपने उत्पादों के लिए बड़े अवसर दिख रहा है. उन्होंने कहा कि नए तालों को गुणवत्ता से समझौता किए बिना मीण-शहरी आबादी की जरूरतों और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए कंपनी में ही डिजायन और विकसित किया गया है. आपको बता दें कि कंपनी गोदरेज और बोयेस का हिस्सा है. वित्त वर्ष 2024 में इसका टर्नओवर 1,200 करोड़ रुपए है.
Godrej Locks Business Plan: 2027 तक 10 हजार करोड़ रुपए हो सकता है ताले का मार्केट
श्याम मोटवानी ने कहा कि ताले का बाजार, जो लगभग 6,700 करोड़ रुपये का है, 2027 तक बढ़कर 10,000 करोड़ रुपये हो जाएगा, जबकि कुल बाजार 14 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. ऐसे में कंपनी 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि का लक्ष्य बना रही है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में कंपनी के रेवेन्यू का पांचवां हिस्सा "शहरी" क्षेत्रों से आता है, जबकि बड़ा हिस्सा भारत के शीर्ष आठ शहरों से आता है.