सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी गेल इंडिया और गुजरात की गुजरात एनर्जी ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन (गेटको) ने एस्सार स्टील के अधिग्रहण के लिये आर्सेलर मित्तल की योजना को खारिज करने की मांग के साथ राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) का दरवाजा खटखटाया है. इन दोनों का कहना है कि इस अधिग्रहण योजना में एस्सार को उधार देने वाली कारोबारी कर्जदाताओं के व्यावसायिक के हितों को छोड़ दिया गया है.

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एस्सार स्टील पर बैंकों का बकाया 49,395 करोड़

एस्सार स्टील के वित्तीय ऋणदाताओं (बैंकों और वित्तीय संस्थाओं) ने कर्ज बोझ से दबी इस कंपनी के अधिग्रहण को करीब 42,000 करोड़ रुपये में खरीदने के आर्सेलरमित्तल के प्रस्ताव को पिछले महीने स्वीकार कर लिया. एस्सार स्टील पर बैंकों का कुल बकाया 49,395 करोड़ रुपये है जबकि आर्सेलरमित्तल ने 41,987 करोड़ रुपये का भुगतान करने की बोली लगाई. 

योजना के तहत एस्सार स्टील को विभिन्न प्रकार का कच्चा माल और दूसरी सेवाएं देने वाली कंपनियों को मात्र 214 करोड़ रुपये ही दिये जाएंगे जबकि उनका कुल बकाया 4,976 करोड़ रुपये है.

आर्सेलर मित्तल के प्रस्ताव से नाराज गेल और गेटको ने एनसीएलटी की अहमदाबाद पीठ में उनका पक्ष सुने जाने के लिये अलग-अलग आवेदन दायर किये हैं. आवेदन में कहा गया है कि उनका एस्सार स्टील इंडिया पर 1,800 करोड़ रुपये का बकाया है जिसका भुगतान नहीं किया गया है. 

अधिग्रहण योजना को खारिज करने की मांग

गेल ने अपनी याचिका में आर्सेलर मित्तल की अधिग्रहण योजना को खारिज करने का आग्रह करते हुए कहा है कि यह समाधान योजना ‘‘परिचालन ऋणदाताओं के हितों की रक्षा करने में पूरी तरह से असफल रही है.’

’गेटको ने एक अन्य याचिका में एस्सार स्टील पर उसके पूरे बकाया 896.52 करोड़ रुपये को शामिल करने की मांग रखी है और कहा है कि यदि उसका पूरा बकाया नहीं दिया जाता है तो आर्सेलरमित्तल की समाधान योजना को खारिज कर दिया जाना चाहिये.

(इनपुट एजेंसी से)