रुपये की गिरती कीमतों से कॉटन उद्योग प्रभावित, बढ़ रहा है स्टॉक
कॉटन सीजन 2017-18 में देश में कॉटन की कुल घरेलू खपत 324 लाख गांठ रही जबकि 30 सितंबर 2018 तक निर्यात 69 लाख गांठ हुआ.
डॉलर के मुकाबले रुपये के गिरते स्तर का असर भारतीय उद्योग पर दिखने लगा है. डॉलर की कीमत बढ़ने से कॉटन का कारोबार लगातार प्रभावित हो रहा है. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने बीते कॉटन वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितम्बर) के आखिर में देश में कॉटन का बकाया स्टॉक 23 लाख गांठ (170 किलो प्रति गांठ) रहने का अनुमान लगाया है. कॉटन एसोसिएशन ने अपनी मासिक रिपोर्ट में देश में पिछले साल कॉटन उत्पादन के अनुमान का 365 लाख गांठ पर यथावत रखा है.
एसोसिएशन ने कॉटन सीजन 2017-18 में देश में कॉटन की मांग और आपूर्ति के अंतिम आकलन रिपोर्ट में कहा कि बीते सीजन में कॉटन की कुल आपूर्ति 416 लाख गांठ रहने का अनुमान है, जिसमें घरेलू उत्पादन 365 लाख गांठ, आयात 15 लाख गांठ और ओपनिंग स्टॉक यानी पिछले साल का बकाया स्टॉक 36 लाख गांठ शामिल है.
कॉटन एसोसिएशन के आकलन के अनुसार, कॉटन सीजन 2017-18 में देश में कॉटन की कुल घरेलू खपत 324 लाख गांठ रही जबकि 30 सितंबर 2018 तक निर्यात 69 लाख गांठ हुआ. इस प्रकार बकाया स्टॉक 23 लाख गांठ रह गया है.
(इनपुट आईएएनएस से)