गोभी की फसल किसानों के लिए बनी मुसीबत, नहीं मिल रहे हैं खरीदार
पश्चिम बंगाल में पत्तागोभी की फसल तैयार खड़ी है. बंपर पैदावार हुई है, लेकिन फसल को देखकर किसानों के चेहरे पर खुशी नहीं बल्कि माथे पर चिंता की लकीरें खींच आई हैं.
कोई भी फसल जब पककर तैयार होती है तो उसे देखकर किसान का सीना चौड़ा हो जाता है. क्योंकि, यह उसकी मेहनत का नतीजा होता है, और इसी नतीजे के आधार पर उसका घर-परिवार, उसका जीवन आगे बढ़ता है. लेकिन कभी-कभी खेत में लहलाती फसल किसान के लिए मुसीबत का सबब भी बन जाती है.
ऐसा ही कुछ पश्चिम बंगाल के जलापाईगुड़ी के किसानों के साथ हो रहा है. यहां खेतों में पत्तागोभी की फसल तैयार खड़ी है. बंपर पैदावार हुई है, लेकिन फसल को देखकर किसानों के चेहरे पर खुशी नहीं बल्कि माथे पर चिंता की लकीरें खींच आई हैं. यहां पत्तागोभी की इतनी बंपर फसल हुई है कि उसका कोई खरीदार ही नहीं है. आलम ये है कि किसान अपने खेतों में गोभी को तोड़ने की भी कोशिश नहीं कर रहे हैं. उल्टा जानवर खेतों में घुसकर पत्तागोभी खा रहे हैं.
गरीब किसान पैसा खर्च करके फसल की पैदावार करते हैं लेकिन, सही समय पर उचित दाम नहीं मिलेगा तो किसान अपना गुज़र-बसर कैसे करेंगे. जलपाईगुड़ी के मयनागुड़ी में किसान खेतों में खड़ी बंदगोभी (पत्तागोभी) की फसल को जानवरों को खिलाने को मजबूर हो रहे हैं.
हसन अली नाम के एक किसान ने स्वयं सहायता समूह से उधार में पैसे लेकर अपनी बेटी की शादी करवाई थी. बीज, यूरिया, मज़दूर मिलकर करीब 15000 रुपये खर्च करके डेढ़ बीघा ज़मीन में बंदगोभी की फसल लगाई. खूब मेहनत की और फसल भी खूब अच्छी हुई थी.
योजना थी कि फसल बेचकर बेटी की शादी में लिए कर्ज को चुका देंगे. लेकिन हसल अली की यह इच्छा, सपना बनकर ही रह गई. इस समय जलपाईगुड़ी के बाजार में पत्तागोभी का भाव 1 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहा है. फुटकर में गोभी 5-7 रुपये किलो बिक रही है. हालत ये है कि मंडी में पत्तागोभी का इतना भाव भी नहीं मिल रहा है कि उससे फसल को मंडी तक लाने का किराया-भाड़ा निकल जाए.
(जलपाईगुड़ी से केटी एल्फी की रिपोर्ट)