Business Model: राधाकिशन दमानी का D-Mart कैसे कमाता है तगड़ा मुनाफा, इन 10 तरीकों से होती है कमाई
D-mart स्टोर की सबसे खास बात ये है कि यहां पर सबसे कम दाम पर सामान मिलता है. इन स्टोर्स में भले ही बहुत ही ज्यादा कम दाम पर सामान मिलता है, लेकिन राधाकिशन दमानी की ये कंपनी हमेशा मुनाफा कमाती है.
रिटेल स्टोर डी-मार्ट (D-Mart) का संचालन करने वाली कंपनी एवेन्यू सुपरमार्ट्स लिमिटेड (Avenue Supermarts Limited) का चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में मुनाफा 17 प्रतिशत बढ़कर 690.41 करोड़ रुपये हो गया है. राधाकिशन दमानी (Radhakishan Damani) की ये कंपनी देश के कई शहरों में अपने डी-मार्ट स्टोर चलाती है. इस स्टोर की सबसे खास बात ये है कि यहां पर सबसे कम दाम पर सामान मिलता है. इन स्टोर्स में भले ही बहुत ही ज्यादा कम दाम पर सामान मिलता है, लेकिन राधाकिशन दमानी की ये कंपनी हमेशा मुनाफा कमाती है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर उनके स्टोर डी-मार्ट का बिजनेस मॉडल (D-Mart Business Model) क्या है, जिसकी वजह से वह इतने कम दाम पर सामान बेचकर भी मुनाफा कमा रहा है.
डी-मार्ट बिजनेस मॉडल
एवेन्यू सुपरमार्ट्स लिमिटेड के रिटेल स्टोर डी-मार्ट का बिजनेस मॉडल बाकी कंपनियों से काफी अलग है. आइए जानत हैं उन 5 खास बातों के बारे में, जिनके चलते राधाकिशन दमानी के ये स्टोर हर साल मुनाफा कमाते जा रहे हैं.
1- स्लॉट/स्पेस फीस
किसी भी बड़े स्टोर में बहुत सारी कंपनियों के प्रोडक्ट होते हैं. जब भी आप किसी बड़े स्टोर में घुसते हैं, तो आपको वहां सबसे पहले जिन कंपनियों के प्रोडक्ट दिखते हैं, उसे प्रीमियम स्पेस कहा जाता है. इस प्रीमियम स्पेस में अपना सामान रखने के लिए तमाम कंपनियां पैसे देती हैं. यहां से डी-मार्ट को पहला रेवेन्यू आता है.
2- रेंट नहीं चुकाते
जहां एक ओर तमाम मॉल्स और अन्य जगहों पर अपने स्टोर के लिए कंपनियों को रेंट चुकाना पड़ता है, वहीं डी-मार्ट का बिजनेस मॉडल बिल्कुल अलग है. आपने एक बात गौर की होगी कि डी-मार्ट के स्टोर शहर से थोड़ा दूर होते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि डी-मार्ट जिस जगह पर अपना स्टोर खोलता है, उस जगह को खरीद लेता है और रेंट के पैसे बचाता है. बता दें कि रेंट की कॉस्ट कुल लागत में 5-10 फीसदी रहती है, जिसका डी-मार्ट को फायदा मिलता है. वहीं जगह की कीमत साल दर साल बढ़ती जाती है, तो अगर भविष्य में वह जगह बेचनी भी पड़े तो तगड़ा रिटर्न मिलता है.
3- पॉर्किंग की व्यवस्था नहीं
अगर आप कभी डी-मार्ट के स्टोर गए हों, तो वहां आपकी पहली शिकायत यही रही होगी कि पार्किंग की अच्छी व्यवस्था नहीं है. दरअसल, कंपनी जानबूझकर पार्किंग पर पैसे खर्च नहीं करती है, क्योंकि फिर वह भी लागत में जुड़ने लगेगा, जिससे प्रॉफिटेबिलिटी का संकट हो सकता है. वैसे भी, डी-मार्ट अपने स्टोर शहर से दूर खोलता है तो वहां पर भीड़-भाड़ ना होने की वजह से गाड़ी खड़ी करने की कहीं ना कहीं जगह मिल ही जाती है.
4- इंटीरियर पर खर्चा नहीं
डी-मार्ट स्टोर में घुसते ही आपको भी शायद यह महसूस हुआ हो कि वहां जगह काफी कम है. वहां पर आपको लिफ्ट के आस-पास भी सामान दिखेंगे. पूरे फ्लोर पर खूब सारा सामान दिखेगा, जिसके बीच में चलने के लिए आपको जगह कम लगेगी. वहीं स्टोर के अंदर सजावट पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है, बल्कि सामान रखने पर ध्यान दिया जाता है. कंपनी इंटीरियर पर खर्चा नहीं करती है और स्पेस को अधिक से अधिक इस्तेमाल करते हुए खूब सारा सामान रखती है.
5- सस्ता खरीदो, तगड़ा सप्लायर नेटवर्क
डी-मार्ट अपने सप्लायर्स से बहुत ही सस्ते दाम पर सामान खरीद पाती है. जहां आम तौर पर सामान खरीदने पर क्रेडिट का टाइम 30-45 दिन तक का होता है, वहीं डी-मार्ट में तेजी से सामान बिकता है, जिसके चलते इसका टाइम 8-10 दिन होता है. यानी सप्लायर को बेचे गए प्रोडक्ट के पैसे 10 दिन में ही मिल जाते हैं, जिसके चलते वह कुछ अतिरिक्त डिस्काउंट में प्रोडक्ट दे पाता है.
6- मिडिलमैन हट जाते हैं
अधिकतर वक्त ऐसा होता है कि डी-मार्ट सीधे मैन्युफैक्चरर्स से भी सामान खरीदता है, जिसके चलते उसे बहुत ज्यादा सस्ते में सामान मिल जाते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस तरह कोई मिडिलमैन नहीं रहता. ऐसे में जो कमीशन एक मिडिलमैन को जाना होता है, वह पैसा भी डी-मार्ट को मिलता है. इस तरह डी-मार्ट को तमाम प्रोडक्ट्स की लागत बहुत ही कम आती है.
7- कम मार्जिन पर ज्यादा सामान बेचो
डी-मार्ट को तमाम प्रोडक्ट्स बहुत ही सस्ती दर पर मिल जाते हैं. डी-मार्ट अपने बिजनेस में सबसे अहम चीज ये करता है वह बेहद कम मार्जिन पर प्रोडक्ट बेचता है, जिससे प्रोडक्ट्स तमाम ग्राहकों के लिए भी बहुत सस्ते पड़ते हैं. सस्ते प्रोडक्ट होने की वजह से लोग ज्यादा से ज्यादा सामान खरीदते हैं और इस वजह से कम मार्जिन के बावजूद डी-मार्ट तगड़ी कमाई करता है. लोग भी सोचते हैं कि सामान काफी सस्ते हैं और साथ ही यह स्टोर उनके घर से दूर है तो वह बहुत सारा सामान एक साथ खरीद लेते हैं.
8- प्रोडक्ट कैटेगरी में कम प्रोडक्ट
डी-मार्ट तमाम प्रोडक्ट कैटेगरी में बहुत ज्यादा प्रोडक्ट नहीं रखता है. ऐसा इसलिए ताकि अलग-अलग वेंडर या सप्लायर या मैन्युफैक्चरर से सामान ना खरीदना पड़े. ऐसा करने पर डी-मार्ट को सभी से अपेक्षाकृत कम-कम सामान खरीदना पड़ेगा और डिस्काउंट कम मिलेगा.
9- खुद की ब्राडिंग वाले प्रोडक्ट
डी-मार्ट के स्टोर में सिर्फ तमाम कंपनियों के प्रोडक्ट नहीं होते, बल्कि उसकी खुद की ब्रांडिंग वाले प्रोडक्ट भी होते हैं. ग्रॉसरी से लेकर अपैरल और किचन प्रोडक्ट्स की कैटेगरी तक में आपको डी-मार्ट की ब्रांडिंग वाले प्रोडक्ट देखने को मिल जाएंगे. यह ब्रांड डीमार्ट प्रीमिया, डीहोम्स, डच हार्बर जैसे ब्रांड नेम से दिखते हैं. डी-मार्ट इनकी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग कराती है और फिर उसे अपने ब्रांड नेम से बेचती है.
10- सस्ती ग्रॉसरी देकर दूसरे प्रोडक्ट्स से कमाई
डी-मार्ट जाने वाले अधिकतर लोग वहां सस्ते ग्रॉसरी आइटम लेने जाते हैं. हालांकि, डी-मार्ट सिर्फ ग्रॉसरी आइटम नहीं बेचता, बल्कि कपड़े, जूते-चप्पल, किचन आइटम, सजावट के सामान, गिफ्ट, फ्रोजन आइटम समेत रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले कई प्रोडक्ट्स बेचता है. इस तरह डी-मार्ट सस्ती ग्रॉसरी देकर बाकी सामान से कुछ अतिरिक्त मुनाफा कमा लेता है. ऐसा इसलिए क्योंकि बहुत सारे लोग सोचते हैं कि जब ग्रॉसरी का सामान यहां से लिया है तो बाकी जरूरत की चीजें भी वहीं से ले लें.