Ashneer Grover और BharatPe मामले में नया पेंच, ग्रोवर एंड फैमिली के खिलाफ ₹81 करोड़ के फ्रॉड का केस दर्ज
Ashneer Grover BharatPe Case: इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (आर्थिक अपराध शाखा) ने ग्रोवर और उनके परिवार के खिलाफ फ्रॉड के आरोप में नया केस दर्ज किया है. एफआईआर भारतपे की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है.
Ashneer Grover BharatPe Case: अशनीर ग्रोवर और उनकी ही बनाई फिनटेक कंपनी BharatPe के बीच चल रहा कानूनी विवाद किसी भी ओर से सुलझता नहीं दिख रहा है. अब मामले में नया अपडेट आया है. इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (आर्थिक अपराध शाखा) ने ग्रोवर और उनके परिवार के खिलाफ फ्रॉड के आरोप में नया केस दर्ज किया है. एफआईआर भारतपे की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है. EOW ने 10 मई को भारतपे के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर अशनीर ग्रोवर, उनकी पत्नी माधुरी जैन ग्रोवर और उनके परिवार के कुछ सदस्यों, जिसमें दीपक गुप्ता, सुरेश जैन और श्वेतांक जैन का नाम शामिल है, इनके खिलाफ 81 करोड़ के फ्रॉड के आरोप में केस दर्ज किया है.
Economic Offences Wing on 10th May registered an FIR against former BharatPe managing director Ashneer Grover, his wife Madhuri Jain Grover, and family members, including Deepak Gupta, Suresh Jain, and Shwetank Jain for Rs 81 crore alleged fraud
— ANI (@ANI) May 11, 2023
अशनीर ग्रोवर और भारतपे के बीच क्या है मामला? (Ashneer Grover-BharatPe Case)
ये मामला पिछले साल से ही चल रहा है, पहले अशनीर ग्रोवर की कोटक बैंक के स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार का ऑडियो क्लिप वायरल हुआ था. फिर फरवरी, 2022 में माधुरी जैन को हेरा-फेरी के आरोपों में कंपनी से बर्खास्त कर दिया गया था. इसके बाद अशनीर ग्रोवर ने भी 1 मार्च, 2022 को एक चिट्ठी जारी कर कंपनी से इस्तीफा दे दिया था. ग्रोवर की पत्नी माधुरी जैन पर कई आरोप लगे थे. ऐसे आरोप थे कि उन्होंने खुद भुगतान के लिए चालान लिए और उन्हें खातों की टीम को भेज दिया. ये चालान कथित तौर पर श्वेतांक जैन ने बनाए थे, जो उनके भाई हैं और मुकदमे में उनका भी नाम है. माधुरी पर आरोप हैं कि उन्होंने कंपनी के फंड का इस्तेमाल अपने पर्सनल ब्यूटी ट्रीटमेंट, इलेक्ट्रॉनिक आइटम की खरीद और परिवार के साथ दुबई की यात्रा में किया.
भारतपे ने CIAC में दर्ज की थी मध्यस्थता अर्जी
इसके अलावा, दिसंबर, 2022 में भारतपे ने अशनीर ग्रोवर, उनकी पत्नी माधुरी जैन ग्रोवर और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ कंपनी के फंड में भारी हेराफेरी को लेकर सिविल और क्रिमिनल कार्यवाही शुरू की थी. और आरोप लगाते हुए मांग की थी कि ग्रोवर 18 प्रतिशत ब्याज के साथ 88.6 करोड़ रुपये का भुगतान करें क्योंकि उन्होंने उन्होंने फर्जी बिल बनाने, वेंडर पेमेंट और निजी इस्तेमाल जैसे अलग-अलग तरीकों से कंपनी को ठगा. कंपनी ने सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (CIAC) के नियमों के तहत मध्यस्थता अर्जी दायर करते हुए ग्रोवर के पास मौजूद हिस्सेदारी और संस्थापक के दर्जे को वापस लेने की मांग की थी.
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