सार्वजनिक क्षेत्र के इलाहाबाद बैंक को 2018-19 की चौथी तिमाही में 3,834.07 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है. इसकी वजह बैंक का फंसा कर्ज बढ़ना है. बैंक ने शु्क्रवार को यह जानकारी दी. बैंक को 2017-18 की जनवरी-मार्च तिमाही में 3,509.63 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था. बैंक ने शेयर बाजार को बताया कि समीक्षाधीन अवधि में उसकी कुल आय बढ़कर 4,602.86 करोड़ रुपये रही, जो एक साल पहले की मार्च तिमाही में 4,259.37 करोड़ रुपये थी. पूरे वित्त वर्ष (अप्रैल-मार्च) 2018-19 में बैंक का शुद्ध घाटा बढ़कर 8,457.38 करोड़ रुपये रहा. 2017-18 में उसे 4,574.22 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.

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वहीं, बैंक की कुल आय 2017-18 में 19,487.51 करोड़ रुपये से घटकर 2018-19 में 18,806.38 करोड़ रुपये रह गई. मार्च 2019 तक बैंक का सकल एनपीए (गैर - निष्पादित परिसंपत्ति) बढ़कर सकल कर्ज के 17.55 प्रतिशत के बराबर था. मार्च 2018 के अंत में उसका सकल एनपीए 15.96 प्रतिशत पर था. हालांकि, इस दौरान शुद्ध एनपीए का स्तर घटकर 5.22 प्रतिशत पर रहा. एक साल पहले यह 8.04 प्रतिशत पर था.

मूल्य के आधार पर पिछले वित्त वर्ष के अंत तक सकल एनपीए 28,704.78 करोड़ रुपये रहा जबकि 2017-18 के अंत में यह 26,562.79 करोड़ रुपये था. वहीं, शुद्ध एनपीए 2018-19 के अंत में 7,419.31 करोड़ रुपये पर रहा जबकि पहले यह 12,229.13 करोड़ रुपये था.

मार्च तिमाही में एनपीए के लिए प्रावधान बढ़ाकर 5,278.88 करोड़ रुपये किया गया. 2017-18 की इसी तिमाही में यह 5,126 करोड़ रुपये था. बैंक ने कहा, "वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 70.54 करोड़ रुपये के 322 धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए हैं."