सरकार ने पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में पीले मटर के आयात के लिए 1,00,000 टन की सीमा तय की थी. दाल के आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध अप्रैल, 2018 में तीन महीने के लिए लागू हुआ था. तब से लेकर अब तक इसे कई बार बढ़ाया जा चुका है. फिलहाल यह प्रतिबंध लागू है. लेकिन सरकार के इस प्रतिबंध के खिलाफ राजस्थान के दो बड़े कारोबारियों ने राजस्थान हाईकोर्ट से आयात पर लगी रोक के खिलाफ स्टे ऑर्डर ले लिया है. हाईकोर्ट ने दोनों ही कारोबारियों के लिए 45-45 हजार टन मटन के इंपोर्ट के लिए मंजूरी दे दी है.

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जीआर एंटरप्राइजेज और गणेश ओवरसीज ने राजस्थान हाईकोर्ट से मटर के आयात की मंजूरी मांगी थी.

बाजार के जानकार इस स्टे को गलत ठहरा रहे हैं. एग्री फॉरमर्स एंड ट्रेड एसोसिशन (AFTA) के महासचिव और दाल कारोबारी सुनील बलदेवा का कहना है कि मटर के आयात की मंजूरी से बाजार में अस्थिरता का माहौल पैदा होगा. किसानों को जो चना या मटर का एमएसपी मिल रहा है, वह नहीं मिलेगा. 

सुनील बलदेवा का कहना है कि बाजार में दाल की कोई कमी नहीं है और सरकार के पास भी पर्याप्त मात्रा में स्टॉक है. उन्होंने बताया कि पिछले साल इसी तरह सरकार के फैसले के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट ने दाल आयात करने की मंजूरी दी थी.

 

 

वर्ष 2017 में मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर अन्य कोर्ट ने भी मटर इंपोर्ट की इजाजत दे दी थी. उस समय सरकार ने तुअर के आयात पर प्रतिबंध लगाया था. मद्रास हाईकोर्ट ने 155 लोगों को स्टे दिए थे. बाद में सभी ऑर्डर को कैंसिल करते हुए भारत सरकार के फैसले को सही ठहराया था.

सरकार ने मटर ने आयात पर लगाई हुई है रोक.

मार्च में केंद्र सरकार ने मटर के इंपोर्ट पर लगाई थी रोक.

राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक के खिलाफ दो कारोबारियों को स्टे दिया.

दोनों कारोबारियों को 45-45,000 टन मटर ने आयात की मंजूरी.

कोर्ट के फैसले के बाद वायदा कारोबार में चना टूटा.