कभी ना कभी तो हर किसी को लोन की जरूरत पड़ती ही है. कई बार लोग पर्सनल लोन (Personal Loan) लेते हैं तो कई बार घर बनाने के लिए होम लोन (Home Loan) या गाड़ी खरीदने के लिए कार-बाइक लोन लेते हैं. ऐसे में आपके मन में भी एक सवाल उठा होगा कि आखिर होम लोन और कार लोन सस्ते क्यों होते हैं, जबकि पर्सनल लोन बहुत महंगे होते हैं. पर्सनल लोन के लिए आपको कम से कम 10 फीसदी से लेकर 24 फीसदी तक का ब्याज चुकाना पड़ता है. वहीं दूसरी ओर कार लोन (Car Loan) या होम लोन 6-9 फीसदी के बीच मिलते हैं. तो आइए जानते हैं कार-होम लोन (Why Home-Car Loan Cheap) की तुलना में पर्सनल लोन महंगे क्यों होते हैं.

क्यों महंगा होता है पर्सनल लोन?

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पर्सनल लोन के महंगे होने की सबसे बड़ी वजह ये है कि यह कम अवधि के लिए दिया जाता है. लोग ज्यादातर पर्सनल लोन 6 महीने से लेकर 5 साल तक की अवधि के लिए लेते हैं. अक्सर पर्सनल लोन के लिए कोई गारंटी नहीं दी जाती है. यानी इसके लिए कुछ गिरवी रखने की जरूरत अधिकतर मामलों में नहीं होती है. ऐसी स्थिति में अगर कोई यूजर लोन नहीं चुका पाता है तो इससे बैंक का एनपीए यानी बैड लोन बढ़ता है और उसे नुकसान होता है. यही वजह है कि अपने मुनाफे को बचाने के मकसद से बैंक पर्सनल लोन की दरें ही ज्यादा रखते हैं, ताकि अगर उन्हें कुछ लोन से नुकसान भी हो जाए तो भी बाकी लोन से उसकी भरपाई हो जाए.

तो फिर होम लोन सस्ता क्यों होता है?

होम लोन के सस्ते होने की एक बड़ी वजह ये है कि इसे खुद सरकार प्रमोट करती है. तमाम बैंकों और एनबीएफसी को होम लोन के लिए नेशनल हाउसिंग बैंक की तरफ से पैसे मुहैया कराए जाते हैं. बैंकों को यह लोन करीब 2 फीसदी और सस्ती दर पर मिलता है, जिसे बाद में बैंक आपको दे देते हैं. होम लोन की दरें कम होने की एक बड़ी वजह ये होती है कि यह काफी बड़ा होता है और लंबी अवधि के लिए होता है. जैसे होम लोन करीब 30 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक का हो सकता है और इसकी अवधि अमूमन 20-30 साल की होती है. ऐसे में कम ब्याज दर रखने के बावजूद लंबी अवधि में बैंकों की भारी-भरकम कमाई होती है. वहीं लोन लेकर आप घर बनवाते हैं तो आपका घर एक तरह से लोन की गारंटी ही समझिए. अगर आप लोन नहीं चुका पाते हैं तो बैंक आपका घर बेचकर अपने पैसे रिकवर कर सकता है.

अब सवाल ये उठता है कि सरकार क्यों कर रही है प्रमोट?

होम लोन को खुद सरकार प्रमोट करती है, लेकिन क्यों? दरअसल, इसके पीछे एक पूरा ईकोसिस्टम काम करता है. जब आप होम लोन लेते हैं तो आप उससे या तो घर खरीदते हैं या घर बनवाते हैं. दोनों ही सूरत में आप रजिस्ट्री वगैरह के जरिए सरकार को अच्छी खासी रकम चुकाते हैं. वहीं हर घर के बनने पर ईंट, रेता, बजरी, सरिया, लेबर जैसी तमाम चीजों की मांग पैदा होती है. घर बन जाते के बाद उसे सजाने में लोहा, लकड़ी, पेंट, फर्नीचर आदि की डिमांड पैदा होती है. देखा जाए तो एक घर बनता है तो उससे बहुत सारे लोगों को रोजगार मिलता है और अर्थव्यवस्था का पहिया घूमता है. यही वजह है कि सरकार होम लोन को प्रमोट करती है और इसीलिए टैक्स तक में छूट मिलती है, ताकि लोग अधिक से अधिक होम लोन लें. जितने ज्यादा घर बनेंगे, उतना ही ज्यादा रोजगार पैदा होगा और देश के विकास के लिए सरकार के पास रकम जमा होगी.

कार लोन के सस्ते होने की क्या है वजह?

जब भी आप कार लेते हैं तो आप जीएसटी देते हैं, रोड टैक्स देते हैं और रजिस्ट्रेशन वगैरह के चार्ज देते हैं. वहीं जब आप पेट्रोल-डीजल भरवाते हैं तो वहां से भी सरकार के पास टैक्स जाता है. जब-जब आप सर्विस कराते हैं तो या कोई रिपेयरिंग होती है, कोई पार्ट या एसेसरीज लगती है तो इन सभी पर जीएसटी लगती है, जिससे सरकार के पास पैसा पहुंचता है. यानी जितनी ज्यादा कारें बिकेंगी, सरकार के पास पैसे उतने ही ज्यादा पहुंचेंगे. ऐसे में सरकार कार लोन को भी प्रमोट करती है, जिसके चलते इसके ब्याज की दरें भी कम रखी जाती हैं.