बैंक में अगर आपका अकाउंट है, तो उसमें थोड़ा बैलेंस भी होगा. आपने देखा होगा कि उस बैलेंस पर समय-समय पर ब्‍याज लगता रहता है. ज्‍यादातर बैंकों में सेविंग्‍स अकाउंट पर 3-4 फीसदी ब्‍याज लगता है. इसके अलावा SMS चार्ज या अन्य सर्विस चार्ज वगैरह भी काटे जाते हैं. लेकिन इसे अगर आप ट्रांजैक्‍शन का हिस्‍सा मानते हैं, तो ये आपकी गलतफहमी है. अकाउंट में जमा बैलेंस पर ब्याज जमा होना (Interest Deposit) या सर्विस चार्ज कटना (Service Charge Deduction), फाइनेंशियल ट्रांजैक्‍शन नहीं होता है क्‍योंकि बैंक की तरफ से आपके निष्‍क्रिय (Inactive Account) या बंद किए जा चुके अकाउंट (Dormant Account) में भी समय-समय पर ब्‍याज जमा होता रहता है और सर्विस चार्ज कटता रहता है. 

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अगर इसे फाइनेंशियल ट्रांजैक्‍शन माना जाता तो आपके अकाउंट को कभी निष्‍क्रिय या बंद किया ही नहीं जाता क्‍योंकि कोई भी अकाउंट तभी इनएक्टिव या डोरमैंट किया जाता है, जब उसमें लंबे समय तक किसी तरह का वित्‍तीय लेन-देन नहीं किया जाता. आइए आपको बताते हैं कि बैंक की तरफ से वित्‍तीय लेन-देन (Financial Transaction) और गैर वित्‍तीय लेन-देन (Non Financial Transaction) किसे माना जाता है.

जानें ब्याज जमा होना या सर्विस चार्ज कटना ट्रांजैक्‍शन क्‍यों नहीं?

दरअसल ब्याज का जमा होना, सर्विस चार्ज कटना या मिनिमम बैलेंस न रखने पर पेनाल्टी कटना आदि को वित्तीय लेन-देन की कैटेगरी में इसलिए नहीं रखा जाता है  क्योंकि इसमें किसी अकाउंट धारक या अन्य व्यक्ति का संबंध नहीं होता. ये बैंक की ओर से की जाने वाली प्रक्रियाएं हैं. बैंक की ओर से होने वाली प्रक्रियाओं को वित्तीय लेन-देन में शामिल नहीं किया जाता है.

क्‍या होता है फाइनेंशियल ट्रांजैक्‍शन

अगर आप बैंक अकाउंट से पैसे निकालते हैं, किसी अन्‍य अकाउंट में पैसे जमा करते हैं, किसी अन्‍य व्‍यक्ति के अकाउंट में फंड ट्रांसफर करते हैं, तो इसे वित्‍तीय लेन-देन माना जाता है. इसके अलावा NEFT, RTGS, UPI वगैरह के माध्यम से हुए लेन-देन, रीचार्ज, बिलिंग, शॉपिंग या अन्य किसी तरीके का पेमेंट भी फाइनेंशियल ट्रांजैक्‍शन का हिस्‍सा है.

गैर वित्‍तीय लेन-देन भी जानें

ऐसे ट्रांजैक्‍शन जिनसे आपके अकाउंट में मौजूद बैलेंस पर कोई फर्क नहीं पड़ता यानी पैसा न तो अकाउंट में आता है और न ही जाता है, इसे गैर वित्‍तीय लेन-देन माना जाता है. बैंक अकाउंट का बैलेंस चेक करना, बैंक अकाउंट में कोई जानकारी अपडेट करना, अकाउंट का स्‍टेटमेंट लेना, अकाउंट के लिए एटीएम कार्ड, चेक बुक वगैरह जारी करवाना आदि गैर वित्‍तीय लेन-देन माने जाते हैं. इसके अलावा आपके बैंक अकाउंट में जमा ब्याज जमा होना और बैंक की ओर से किसी तरह का चार्ज काटना भी गैर वित्तीय लेन-देन में आता है.

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