घाटे में चल रहे सरकारी बैंकों को बड़े बैंकों में विलय को लेकर उल्टी गिनती शुरू हो गई है. इस फैसले पर सरकार इस हफ्ते अपनी मुहर लगा सकती है. 1 अप्रैल को विलय की प्रक्रिया का नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. इस नोटिफिकेशन के बाद 10 बैंकों का 4 बैंकों में विलय कर दिया जाएगा. इसके बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 रह जाएगी. इस बड़े विलय की घोषणा पिछले साल 30 अगस्त को की गई थी.

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जानकारी मिली है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल इस सप्ताह सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय चार बड़े बैंकों में करने के प्रस्ताव पर विचार कर सकता है, जिससे तय तिथि एक अप्रैल 2020 से इस पर अमल करने की प्रक्रिया को मंजूरी मिल जाएगी. इस संबंध में अधिसूचना जारी होने पर इन बैंकों के निदेशक मंडलों द्वारा विलय के लिए स्वैप रेशियो को मंजूरी प्रदान की जाएगी. छोटे हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए प्रत्येक बैंक को विनियामक मानदंडों का अनुपालन करना होगा.

अधिकारियों ने बताया कि बैंकों द्वारा आवश्यक मूलभूत कार्य पूरा करने के बाद सरकार 10 पीएसयू बैंकों का विलय करके चार बड़े बैंक बनाने के लिए इस सप्ताह के आखिर में अधिसूचना जारी कर सकती है.

सरकार ने बीते साल अगस्त में 10 बैंकों के विलय की घोषणा की थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में विलय किया जाएगा. केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का विलय और इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय होगा. यूनियन बैंक के साथ आंध्रा बैंक और कारपोरेशन बैंक का विलय किया जायेगा. 

इल विलय बाद सार्वजनिक सेक्टर में केवल भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूको बैंक रह जाएंगे.

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बता दें कि 2017 में भी केंद्र सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक में उसके पांच सहायक बैंकों का विलय किया था. इनमें स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और भारतीय महिला बैंक का स्टेट बैंक का एसबीआई में विलय किया गया था.